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हरिपर्वत किला 1808 से श्रीनगर कश्मीर नगर का निगेहबान !

अफगान गवर्नर से लेकर अंग्रेज और डोगरा राजशाही ने कभी आबाद रखी थी - 215 साल पुरानी रिवायत।

 

हरिपर्वत किला 1808 से श्रीनगर कश्मीर नगर का निगेहबान !

अफगान गवर्नर से लेकर मुगल, अंग्रेज, डोगरा राजशाही और आज लोकतंत्र ने  आबाद रखी है – 215 साल पुरानी रिवायत।

 

देश में पर्यटकों का स्वर्ग श्रीनगर कश्मीर फिर टूरिस्टों से गुलजार है।

श्रीनगर डाउन टाउन से होकर हरिपर्वत किले पहुंचने का अलग ही रौमांच है।

श्रीनगर की घनी बस्तियों के बीच खुला परिसर अपनी विरासत को कहता है।

हरिपर्वत फोर्ट वर्ष 1808 में अफगान गवर्नर के नाम से बना है।

किले की इस छावनी को आज बीएसएफ अर्द्ध सैनिक बल की तैनाती और भारतीय तिरंगे ने आबाद किया हुआ है।

किले के अधिकतर कमरे अब छत विहीन हैं और दो शताब्दी का इतिहास धीरे – धीरे चर्चा विहीन हो चुका है।

किले का स्वरूप लद्दाख के पुरातन गोम्पा की तरह नज़र आता है।

किले में अफगान सल्तनत की मस्जिद है तो बाद के राजाओं ने देवी का भव्य मंदिर, काली देवी और गुरूद्वारा मौजूद हैं।

किले के बुर्ज से श्रीनगर का हर ओर का नज़ारा साफ दिखता है।
श्रीनगर की नैसर्गिक सुंदरता, डल झील के नज़ारे, चारों ओर हिमालय के बर्फीले शिखर हर आयु वर्ग के लिए ह. विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।

श्रीनगर को 360 डिग्री देखने के लिए हरिपर्वत एक आदर्श स्थल है।

राजा हरि सिंह से लेकर अफगान राज तक 215 साल का इतिहास इस किले में समाहित है।

कभी श्रीनगर क्षेत्र में बौद्ध प्रभुत्व भी रहा है। अकबर ने नगर – नगर को समृद्ध बनाया।

बादाम वारी बगीचे के ठीक ऊपर हरि पर्वत किले की दास्तान श्रीनगर शहर का विशेष अध्याय है।

हरि पर्वत परिसर में वृक्षारोपण के कार्यक्रम छात्र उत्साह से करते रहते हैं।
— भूपत सिंह बिष्ट

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