दिव्य – भव्य उत्तराखंड !
गंगोत्री- गोमुख और तपोवन तक !
गोमुख ग्लेशियर लगभग 10 किमी तक गंगोत्री शिखर-1, 2 एवं 3 के बीच फैला है। इस के एक ओर नंदनवन और दूसरी ओर तपोवन तक यात्री जोखिम उठाकर जाते हैं, गोमुख ग्लेशियर पर लगभग दो किमी चलकर ही यहां पहुँचना संभव है।
कभी चलते हुए ग्लेशियर टूटा तो हिमशीतित गंगा नदी से शरीर बाहर निकाल पाना बिलकुल असंभव कार्य है। “शिवलिंग” शिखर पर पर्वतारोहण करने वाले अपना बेस कैंप तपोवन में बनाते हैं। शिवलिंग – शिखर गंगोत्री के रास्ते में दूर से दमकता रहता है।
तपोवन में कभी शिमला बाबा और उन की जर्मनी चेली रामनवमी पर्व पर मीठा रोट प्रसाद में दिया करते थे। विदेशी पर्यटकों को तपोवन में पाकर सुखद आश्चर्य हुआ — आखिर ये लोग कैसे इन सुंदर स्थलों को खोज लेते हैं ?
नंदन वन से होकर एक मार्ग कालिंदी खाल से बद्रीनाथ धाम की ओर जाता है। वहाँ बर्फ में धंसे पर्वतारोही अरूंधति जोशी और विजय महाजन के शरीर बाहर निकल आते हैं और पास से गुजरने वाले पर्वतारोही इन्हें फिर बर्फ से ढक कर अपनी श्रद्धांजली अर्पित करते रहे हैं।
भूपत सिंह बिष्ट ।