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हिमाचल में शिव भक्तों का एक पवित्र तीर्थ स्थल — मणि महेश !

बर्फीली झील " गौरीकुँड" में जन्माष्टमी से " राधा अष्टमी " तक शाही स्नान

हिमाचल में शिव भक्तों का एक पवित्र तीर्थ स्थल — मणि महेश !

शिव भक्तों का जमावड़ा यहाँ बर्फीली झील ” गौरीकुँड” में जन्माष्टमी के दिन छोटा स्नान से जुटना शुरू होता है और ” राधा अष्टमी ” के शाही स्नान के बाद इस उत्सव की समाप्ती होती है।

 

हड़सर से मणिमहेश शिखर दर्शन की पदयात्रा 13 किमी (दुर्गम खड़ी चढ़ाई 12 हजार फीट तक) एक तरफ तय करनी है। आधे रास्ते में रावी की जलधारा के समीप ” धनछौ ” में अस्थायी टेंट कालोनी यात्रियों के लिए बनायी जाती हैं।

 

शिव भक्तों के लिए हड़सर – गौरीकुँड पैदल मार्ग पर या पठानकोट पंजाब से चम्बा – भरमौर – हड़सर तक मोटर मार्ग पर हजारों यात्रियों के लिए स्वादु भोजन और जलपान की मुफ्त सेवा दर्जनों सार्वजनिक लंगर द्वारा अनेक वर्षों से की जा रही है।

 

भरमौर की संस्कृति व गद्दी जनजाति की अनुपम विरासत का सनातन शैवमत से अटूट गठबंधन है। चौरासी मंदिर, ब्रामणी देवी मंदिर का वास्तुशिल्प इस सुदूर हिमालयी क्षेत्र को प्रमुख अध्यात्मिक केंद्र बनाये हुए है।

 

मणिमहेश दर्शन का पुण्य पाने के लिए शिव का आशीर्वाद और जीवटपन जरूरी है। भरमौर की अनुपम संस्कृति और गद्दी जनजाति की अनुपम विरासत का सनातन शैवमत से अटूट गठबंधन है।

 

यहाँ शिव के पुजारी “चेला” कहलाते हैं और अपने समाज में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
— भूपत सिंह बिष्ट

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