गीत में छंद है, लय है, गेयता है – यह रचना कभी मर नहीं सकती – डॉ बुद्धिनाथ मिश्र
साहित्य समागम - असीम शुक्ल की नव प्रकाशित काव्य कृति "रचो नदी का मौन" विमोचन
गीत में जब तक छंद है, लय है, गेयता है – यह रचना कभी मर नहीं सकती !
एक समय था जब लोग भविष्य वाणी कर रहे थे कि गीत मर गया है,उसका अब कोई भविष्य नहीं है।
ऐसा कहने वाले अब कहाँ हैं कोई नही जानता, परन्तु गीत, नवगीत आज भी जिंदा ही नहीं हैं बल्कि पूरी ताकत से जन मानस में समाए हुए हैं।
हमारे वेद भी छांदस हैं। जिसमें छंद है, लय है, गेयता है – वह रचना कभी मर नहीं सकती।
गीत और नव गीत में बहुत अंतर नहीं है। आम के पल्लव नव गीत हैं तो उसके पत्ते गीत हैं — प्रसिद्ध गीतकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र द्वारा गीत – नवगीत की सहज परिभाषा वरिष्ठ कवि असीम शुक्ल की नव प्रकाशित काव्य कृति “रचो नदी का मौन” के विमोचन अवसर पर उदघाटित हुई।
इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, डॉ सुधा पांडे, सतीश शुक्ल, डॉ संजय, डॉ सविता मोहन और असीम शुक्ल ने भी पुस्तक मे प्रकाशित गीतों के विविध पक्षों पर अपने रोचक विचार प्रस्तुत किये।
प्रस्तुति – रजनीश त्रिवेदी।