आयुष्मान योजना गोल्ड कार्ड दावे और हकीकत !
68 वर्षीय रिटायर शिक्षक को भरने पड़े 2 लाख 30 हजार इलाज शुरू कराने के लिए।
उत्तराखंड सरकार ने बिना पूर्ण तैयारी के SGHS राज्य सरकार हेल्थ स्कीम योजना को लागू किया है। यह योजना केंद्र सरकार हेल्थ स्कीम CGHS पर आधारित है और वेतनमान के अनुसार सेवारत और रिटायर कर्मचारियों को 250- से 1000 रूपये प्रतिमाह अंशदान चुकाना पड़ रहा है।
सरकार का दावा है कि SGHS – गोल्ड कार्ड धारकों को 267 सरकारी और सूचीबद्ध निजी हास्पीटल में बिना किसी सीमा के असीमित इलाज खर्च की सुविधा उपलब्ध है और योजना कैशलेस है।
हास्पीटल सरकार की परवाह किए बिना कर्मचारियों से सीधे मेडिकल बिल की वसूली कर रहे हैं। उधर सभी कर्मचारियों का मासिक अंशदान ट्रेजरी से सीधे राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के खाते में जमा हो रहा है।
68 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक दिगंबर सिंह रावत पूर्व शिक्षक हैं और योजना लाभ के लिए निरंतर अंशदान दे रहे हैं – 3 अगस्त को अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ा और परिजनों ने कोरोनेशन फोर्टिस एस्कोर्ट हास्पीटल देहरादून में एडमिट कराया।
मरीज के SGHS गोल्ड कार्ड देने के बावजूद हास्पीटल ने इलाज शुरू करने के लिए अभिकरण की परमिशन आवश्यक है और इस मंजूरी में दो दिन का समय लग सकता है।
तुरंत इलाज शुरू करने के लिए 70 हजार जमा करा लिये और तीन दिन बाद दो लाख तीस हजार का बिल चुकाने के बाद मरीज की जान बच पायी। राजधानी में इलाज के नाम पर गोल्ड कार्ड धारकों से अग्रिम वसूली का आलम यह है तो अन्य शहरों में भगवान मालिक है।
[email protected] का मैसेज बाक्स फुल होने पर एमरजैंसी मेल की डिलिवरी नहीं हो पाती है सो विभाग की सक्रियता और सजगता का अंदाज लगाया जा सकता है।
सूचीबद्ध हास्पीटल में इलाज शुरू करने की इजाजत अधिकारी देंगे या मरीज की जान बचाने का दायित्व डाक्टर के पास है।
सरकार की ओर से दावा है कि विगत समय में तीन लाख से अधिक राज्य कर्मचारियों को इस योजना का लाभ मिला है और 483 करोड़ का भुगतान इस मद में किया गया है।
इन्हीं कारणों से वरिष्ठ पूर्व कर्मचारियों ने नैनीताल हाइकोर्ट में इस स्कीम में अंशदान काटने के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है और पहले की चिकित्सा सुविधा जारी रखने का रिलीफ मांगा है।
मामले की पिछली सुनवायी में राज्य सरकार ने कटौती बंद करने के लिए नवंबर तक का समय मांगा है।
—भूपत सिंह बिष्ट