21 साल बाद उत्तराखंड संस्कृति का अंतर- राष्ट्रीय जागर एवं ढोल सागर संस्थान !
जागर सम्राट पदमश्री प्रीतम भरतवाण ने पर्वतीय संस्कृति को दिए नए आयाम।
21 साल बाद उत्तराखंड संस्कृति का अंतर- राष्ट्रीय जागर एवं ढोल सागर संस्थान !
जागर सम्राट पदमश्री प्रीतम भरतवाण ने पर्वतीय संस्कृति को दिए नए आयाम।
— भूपत सिंह बिष्ट
उत्तराखंड संस्कृति के वाहक जागर विधा के मर्मज्ञ और लोक गायक प्रीतम भरतवाण ने राज्य में इंटरनेशनल जागर व ढोल सागर एकेडमी का श्रीगणेश किया है।
विगत सप्ताह अमेरिका प्रवास से लौटे प्रीतम भरतवाण के प्रशंसकों तथा शिष्यों ने गुजारिश की – जागर लोकगीत की पौराणिकता और वाद्य यंत्रों की उपयोगिता को बनाये रखने के लिए एकेडमी का शुभारंभ हो।
प्रीतम भरतवाण ने कहा – अपनी पुश्तैनी कला जागर लोकगायकों को मंच प्रदान करने, निरंतर शोध और पौराणिक कथाओं का जागर रूपांतरण, जागर शैली में प्रयुक्त होने वाले पहाड़ी वाद्य यंत्र ढोल, दमाऊ, थाली और हुड़के की विद्या को विस्तार देने और नए कलाकार – शिष्यों के लिए प्रीतम भरतवाण जागर ढोल सागर इंटरनेशनल एकेडमी मील का पत्थर साबित होगी।
अभी तक कार्यशालाओं के माध्यम से लोक संस्कृति की जागर व लोक संगीत शिक्षा को अमेरिका, इंग्लैंड जैसे पाश्चात्य देशों में फैलाने का अवसर मिला है। अमेरिकन यूनिवर्सिटी हिमालयी संस्कृति की जागर और लोकसंगीत विधा पर रिसर्च कर रहे हैं।
देशी – विदेशी लोकगीत व संगीत के शिष्यों का आनलाइन रजिस्ट्रेशन आरंभ हो गया है और 17 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व अन्य इस एकेडमी का विधिवत उदघाटन करेंगे।
ढोलसागर के विशेषज्ञ 105 वर्षीय शेरदास, 81 वर्षीय कलमदास व अन्य लोक कलाकारों का सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है जिस में अमेरिकन शिष्य साक्षात और वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से जुड़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पदमश्री जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण दूरदर्शन व आकाशवाणी के ए ग्रेड कलाकार, गढ़वाली लोकगीतों एवं संगीत के लिए देश विदेश में सराहे जाते हैं।