पैगासस जासूसी कांड सुप्रीम कोर्ट ने जांच बैठायी।
लोकतंत्र में सरकार को निजता भंग करने का अधिकार नहीं – सुप्रीम कोर्ट !
सुप्रीम कोर्ट ने इजरायली साफ्टवेयर पैगासस मालवेयर के द्वारा नागरिकों की जासूसी को निजता का हनन माना है।
सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देकर कोर्ट को मूक दर्शक नहीं बना सकती है – मुख्य न्यायाधीश आर वी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बैंच ने आदेश जारी किया है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस आर वी रवींद्रन और अन्य छह विशेषज्ञ पैगासस जासूसी मामले की जांच करेंगे और नागरिकों की निजता में सरकारी हस्तक्षेप ना हो – रोकने के उपाय भी तय करेंगे।
मोदी सरकार इजरायल से खरीदे गए पैगासस जासूसी साफ्टवेयर पर चुप्पी साधे हुए है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से पैगासस का उपयोग किन – किन पर किया गया है या नहीं हुआ है।
संसद से लेकर सड़क तक इजरायल जासूसी साफ्टवेयर की चर्चा रही है और विदेशों में इजरायली कंपनी पर कानूनी कार्रवाई और आर्थिक क्षति के मुकदमें चल रहे हैं।
आशंका बतायी जा रही है कि कम से कम तीन सौ राजनेताओं, अधिकारियों, पत्रकारों और न्यायाधीशों की जासूसी करने के लिए पैगासस का दुरपयोग हुआ है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप दोहराया है कि इजरायली साफ्टवेयर का जासूसी में उपयोग कर के राष्ट्रीय सुरक्षा, चुनाव आयोग, विपक्षी नेताओं व नागरिकों की निजी ज़िंदगी में तांक झांक कर के मोदी सरकार ने लोकतंत्र को कुचला है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार अपने नागरिकों की जासूसी लोकतंत्र में नहीं कर सकती है।पैगासस मामले को सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार एन राम, शशि कुमार, प्रंजाय गुहा ठाकुर, प्रेम शंकर झा आदि पत्रकारों ने उठाया है।
पदचिह्नन टाइम्स।