भारत दर्शन : लद्दाख को कश्मीर से जोड़ता ‘‘ जोजिला पास ‘‘ !
भारतीय सेना और सीमा सड़क संगठन का कमाल सोनमर्ग- द्रास- कारगिल रोड़ ।
लद्दाख को कश्मीर से जोड़ता ‘‘ जोजिला पास ‘‘ !
भारतीय सेना और सीमा सड़क संगठन का कमाल कारगिल रोड़ ।
– भूपत सिंह बिष्ट
लद्दाख की सीमा एक ओर चीन के कब्जे वाले तिब्बत से जुड़ी है तो दूसरी ओर पीओके क्षेत्र से इस तरफ अतिक्रमण और गोलाबारी आम बात है।
लेह और कारगिल जिलों में हमारी सेना 15 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बर्फ और जानलेवा मौसम में दुश्मन के सामने डटी है – निसंदेह भारत मां के इन सपूतों का समर्पण और कर्त्तव्य परायणता अनूठी है और ‘‘ जय हिन्द ‘‘ का जोश भरती है।
लेह,लद्दाख से श्रीनगर -कश्मीर (430 किमी) आने के लिए एक दुगर्म दर्रे को पार करना पड़ता है और अपने नाम के अनुरूप यह दर्रा ‘‘जोजिला‘‘ खतरनाक और जरा सी मानवीय भूल होने पर जानलेवा साबित हो सकता है।
लद्दाख में लेह और कारगिल दो जिले हैं – लेह बौद्ध बाहुल्य और कारगिल मुस्लिम बाहुल्य है। कारगिल और द्रास नगर के आसपास पहाड़ियों में कारगिल युद्ध की कहानियां – निशानियां और युद्ध स्मारक हैं।
कारगिल से श्रीनगर की दूरी लगभग दो सौ किमी लेकिन कम से कम छह घंटे का सफर है यदि आप जोजिला पास में नहीं फंसते हैं।
द्रास क्षेत्र विश्व में कड़ी ठंड के लिए भी जाना जाता है।
जोजिला पास के करीब पहाड़ियों पर साल भर बर्फ देखी जा सकती है। जोजिला से रास्ता बालटाल वैली में उतरता है और यही रास्ता अमरनाथ गुफा की ओर जाता है।
बालटाल से सोनमर्ग, सोनमर्ग से कंगन, कंगन से गांदरबल होकर श्रीनगर शहर पहुंचते हैं। यह मार्ग नैसर्गिक सुंदरता – हरीभरी वादियों, सेब के बागान, नदी, जंगल और बर्फ से सजा है।
जोजिला पास पर सड़क निर्माण हमारे बार्डर रोड़ आर्गेनाइजेशन की शानदार उपलब्धि है तो इस दर्रे पर गाड़ी चलाने का साहस और स्टाइल भारतीय चालकों की अनूठी क्षमता कही जा सकती है।
इस दर्रे पर निरंतर भूस्खलन हो रहा है और सेना की सप्लाई को निर्बाध रखने के लिए इस सड़क को खोले रखने का दायित्व भी हमारे सैनिक बखूबी निभा रहे हैं।
– भूपत सिंह बिष्ट