अरूणाचल यात्रा : नन्हें लामा जी और बाल दिवस !
बच्चों का बचपन छीनती कुर्सी की राजनीति।
नन्हें लामा जी का बाल दिवस !
बच्चों का बचपन छीनती कुर्सी की राजनीति।
बाल दिवस पर आजकल उमंग और उल्लास नहीं ठहरता, शायद मोबाइल ने वो खुशियां लील ली हैं या सरकार इस दिवस को चाचा नेहरू की याद मानकर नहीं मनाना चाहती हो !
फिर भी एक याद ताजा हो रही है – अरूणाचल यात्रा के दौरान मेरा दिरांग गोम्पा में जाना हुआ और वहां एक नन्हा रिम्पो छे ( लामा गुरूजी ) से मुलाकात हुई।
अपनी मां के संरक्षण में पवित्र आत्मा को धार्मिक शिक्षा और कर्मकांड के लिए गुरूकुल में लाया गया है।
नन्हें लामा जी मेरे कैमरे से कुछ समय के लिए बाल सुलभ मोह कर बैठे और गोम्पा की छत में नन्हे कृष्ण की तरह खेल रचाने लगे।
घर से हजारों मील दूर इस माहौल में एक पल को भी नहीं लगा कि मैं कहीं अलग संस्कृति और परिवेश में आ गया हूं।
हमारी भारतीय संस्कृति की विभिन्नता और एकता राजनेता जानकर भी अपनी वोट बैंक की राजनीति में कलुषित कर रहे हैं।
– भूपत सिंह बिष्ट