धर्म/ अध्यात्म/ ज्योतिषपर्यटन/ तीर्थाटनसमाज/लोक/संस्कृति

देवस्थानम बोर्ड अधिनियम वापस यानि चुनाव जीतने की एक जुगत !

त्रिवेंद्र का सपना परवान नहीं चढ़ा- तीर्थ पुरोहितों और पंडों ने पलटा दिया सरकार का फैसला।

देवस्थानम बोर्ड अधिनियम वापस यानि चुनाव जीतने की एक जुगत !

त्रिवेंद्र का सपना परवान नहीं चढ़ा- तीर्थ पुरोहितों और पंडों ने पलटा दिया सरकार का फैसला।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज देवस्थानम बोर्ड अधिनियम को समाप्त करने का फैसला सुना दिया है।

त्रिवेंद्र रावत का दावा रहा है कि दुनिया भर के सनातन धर्म अवलंबी देवस्थानम बोर्ड को अकूत दान दक्षिणा देंगे। फिर भविष्य में देवस्थानम बोर्ड के मेडिकल कालेज और इंजीनियरिंग कालेज उत्तराखंड के युवाओं का भविष्य सुधार देंगे। दस साल बाद पंडा समाज रावत जी के फैसले पर नाज करेगा।

एक मंत्री बार – बार देवस्थानम बोर्ड की जरुरत तीर्थ यात्रियों के रेल व आल वैदर रोड़ से भारी तादाद में पहुंचने पर व्यवस्था के लिए जरूरी बता रहे थे।
पता नहीं देवस्थानम बोर्ड कोरोना से निपटने में कैसे सहायक रहा है !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को केदारनाथ धाम पहुंचने पर भारी विरोध का सामना करना पड़ा। तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड की सरकारी मशीनरी को चार धाम मंदिरों में कब्जे के रूप में देख और महसूस कर रहे थे।

पूर्व मुख्यमंत्री के तर्क – देवस्थानम बोर्ड की आय से स्कूल, कालेज, हास्पीटल, आदि सुविधायें जुटाने में सहयोग मिलेगा। खुद अपनी कल्याणकारी सरकार की क्षमताओं को सीमित करने वाले रहे हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों के मुखर विरोध को समझा तथा धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं में अत्यधिक सरकारी दखल को उचित नहीं माना।

मुख्यमंत्री धामी ने अपना वादा निभाते हुए 30 नवंबर को देवस्थानम बोर्ड खत्म करने का अंतिम निर्णय ले लिया।

देवस्थानम बोर्ड में नियुक्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पहले ही अनेक विभागों का बोझ उठाये हुए हैं और सरकार के पास इस बोर्ड के लिए पूर्णकालिक अधिकारियों की कमी साफ देखी जा रही थी।

तीर्थ पुरोहितों और पंडों के बीच भाजपा सरकार की छवि ब्राह्मण समाज की उपेक्षा करने वाली बन रही थी। मुख्यमंत्री धामी की सरकार अब छवि दुरूस्त करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है।

युवा मुख्यमंत्री पूरे उत्तराखंड में अपने निरंतर दौरे के रिकार्ड बना रहे हैं और रोजाना कुमायूं व गढ़वाल मंडल के दूरदराज जिलों में उनकी उपस्थिति और विकास घोषणायें अपने पूर्व मुख्यमंत्रियों को पीछे छोड़ चुकी है।

अगले दिसंबर विधानसभा सत्र में देवस्थानम बोर्ड अधिनियम को वापस लेने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री धामी पास करने वाले हैं और चारधाम में फैली तीर्थ पुरोहितों व उनके परिवार के बीच भाजपा से नाराजगी मिटने वाली है।
— भूपत सिंह बिष्ट

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!