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आल वैदर चंद्रशिला ट्रेक : युवाओं में एडवैंचर और उत्तराखंड हिमालय का परिचय !

आल वैदर चंद्रशिला ट्रेक : युवाओं में एडवैंचर और उत्तराखंड हिमालय का परिचय !
चौपता से बुग्याल की हरितिमा का विस्तार तृतीय केदार तुंगनाथ तक ।

गढ़वाल हिमालय में सबसे चर्चित ट्रेक शिव स्थली पंच केदार के रूप में मौजूद हैं। शिव महिमा की अध्यात्मिक कथाओं में ज्योतिर्लिंग केदारनाथ सबसे रूचिकर है।

पांडवों पर दोष लगा कि अपने बंधु – बांधवों को महाभारत युद्ध में मौत के घाट उतारने में हिंसा के अपराधी हैं ।

इस पाप का शमन करने के लिए हिमालय में यात्रायें की और भगवान शिव को अपनी तपस्या से द्रवित कर दिया।पांच पांडवों ने गढ़वाल हिमालय में कठोर तपस्या की है और भगवान शिव के नंदी बैल के रूप दर्शन किए।

 


भगवान शिव ने बैल का रूप धारण किया और पांडवों को पहचान की चुनौती मिली। तब भीम ने अपने दोनों पैरों को दो शिखरों तक फैलाकर उन के बीच जानवरों को हांकना शुरू किया।

शिव रूपी बैल दूसरी दिशा में भागने लगे तो भीम ने उन्हें पीछे से याचक बनकर पकड़ा। भगवान शिव पांच भागों में बंट गए और कालांतर में ये पंच केदार केदारनाथ, रूद्रनाथ, तुंगनाथ, मधमहेश्वर और कल्पेश्वर कहलाये।

 


पांचों केदार गढ़वाल हिमालय में स्थित हैं और शिवभक्तों व युवाओं के बीच ट्रेकिंग का लक्ष्य बनते हैं।

केदारनाथ, मधमहेश्वर ट्रेक रूद्रप्रयाग जनपद में पड़ते हैं। रूद्रनाथ, तुंगनाथ और कल्पेश्वर चमोली जनपद में स्थित हैं।

तुंगनाथ ट्रेक का सबसे अंतिम छोर चंद्रशिला कहलाता है।

चोपता से तीन किमी की औसतन चढ़ाई सुंदर बुग्याल से होकर तुंगनाथ धाम पहुंचती है।

यहां तीन घंटे में पहुंचा जा सकता है और तुंगनाथ ट्रेक पर रात्री विश्राम की व्यवस्था है।

 

 

तुंगनाथ से एक किमी की चढ़ाई पर चंद्रशिला है।

यहां पहुंचने के लिए तुंगनाथ से एक घंटा लगता है। चढ़ाई कई जगह पर खड़ी है और फिजिकल फिटनेस का अहसास करा देती है।

 

 

 

चंद्रशिला के चारों और बर्फीले शिखर चमकते हैं। नीचे दूर – दूर तक पर्वत श्रंखलायें और सुरम्य घाटियों की छटा फैली है।

निसंदेह चौपता और चंद्रशिला पर्यटकों व युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
— भूपत सिंह बिष्ट

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