उत्तराखंड चुनाव में हरीश रावत और उत्तराखंडियत का दाव !
हरक और उमेश की दलबदल की भभकियां आखिर किस के लिए फायदेमंद रहेंगी।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने स्पष्ट किया है कि वे कांग्रेस के दरवाजे में डंडा लेकर नहीं बैठे हैं – जो किसी का कांग्रेस प्रवेश रोक दें।
उनका इशारा मुख्यमंत्री धामी की कैबिनेट का बहिष्कार करने वाले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और रायपुर बीजेपी विधायक उमेश शर्मा काउ की ओर है।
दोनों गाहे – बगाहे बीजेपी को टा – टा , बाय – बाय करके इंच दर इंच कांग्रेस के पाले की ओर खींचते दिखते हैं।
हरक सिंह भले ही कांग्रेस की चौखट में ना आये हों लेकिन हरीश रावत फिर से कांग्रेस के पक्ष में हवा बनाने में लग गए हैं।
राजनीति की हवा भांपने वाले बता रहे हैं कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव डबल इंजन ड्राइवरों की शिफ्ट बदलने से मुश्किल हो रहा है।
मुख्यमंत्री धामी को पहले शपथ ग्रहण में अपने भारी भरकम मंत्रालय पूर्व कांग्रेसियों को सांझा करने पड़े – फिर भी कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य बीजेपी छोड़ गए।
अब हरक सिंह और उमेश शर्मा चुनाव से पहले उन के युवा नेतृत्व को छोड़कर जाने के बहाने गढ़ते दिख रहे हैं – यह सब केंद्रीय हाइकमान के दौरे से ठीक पहले आयोजित होता है।
मुख्यमंत्री धामी को खुद मान मनौव्वल में आना पड़ता है और 2022 के चुनाव कार्यक्रम घोषित होने और टिकट बटवारे से पहले यह रूकता नज़र नहीं आ रहा है। बीजेपी के लिए अब हरक और काउ भी चुनाव समर में जरूरी हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अब माफी मांग रहे हैं – मैं अगुवाई कर रहा हूं और नेतृत्व करने में अहंकार का भ्रम होता है।
कांग्रेस का चुनाव प्रचार और जनजागरण निरंतर गतिमान है। टिकट के दावेदार हरिद्वार सैनी समाज से लेकर रायपुर सीट पर चुनावी माहौल गर्मा रहे हैं।
कांग्रेस का पुरोधा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हरिद्वार – देहरादून के सुदूर क्षेत्रों से लेकर अल्मोड़ा – उधमसिंहनगर और पिथौरागढ़ तक पैठ बनाता घूम रहा है।
आज बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बूथ जीतकर चुनाव जीतने का मंत्र दे गए लेकिन कैबिनेट मंत्री के चुनाव से ठीक पहले मोहभंग की सियासत शुभ संकेत नहीं है।
पदचिह्न टाइम्स।