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सांसद तीरथ को विधायक टिकट नहीं मिला संयोग देखिए वो इसी विधानसभा में मुख्यमंत्री बन इतिहास रच गए !

कोरोना ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को विधायक का उपचुनाव लड़ने से रोक दिया।

सांसद तीरथ को विधायक टिकट नहीं मिला संयोग देखिए वो इसी विधानसभा में मुख्यमंत्री बन इतिहास रच गए !

कोरोना ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को विधायक का उपचुनाव लड़ने से रोक दिया।

उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास में चौथी विधानसभा 2017 -22 ने कई दिलचस्प संयोग दर्ज किए हैं।
बीजेपी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व चौबटाखाल विधायक तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर 2017 में कांग्रेस से बीजेपी में आए सतपाल महाराज को अपना प्रत्याशी बनाया।

यह भी उल्लेखनीय है – सतपाल महाराज कांग्रेस सरकार को अपदस्थ कर बीजेपी में मुख्यमंत्री पद की आस लेकर शामिल हुए।
बीजेपी ने तीन बार चौथी विधानसभा में मुख्यमंत्री बदले लेकिन महाराज का नंबर नहीं आया।

उधर तीरथ सिंह रावत विधायक टिकट कटने पर पोलिटिकल पीड़ित माने गए – फिर बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव बनाए गये।

लोकसभा चुनाव -2019 में तीरथ सिंह रावत हिमाचल प्रदेश के चुनाव प्रभारी बनाए गए। साथ ही गढ़वाल संसदीय सीट में बीजेपी ने तीरथ सिंह रावत को जनरल खंडूडी के कांग्रेसी प्रत्याशी पुत्र मनीष खंडूडी के खिलाफ उम्मीदवार बना दिया।

तीरथ सिंह रावत , जिन्हें विधायक के योग्य नहीं समझा गया वो तीन लाख से अधिक रिकार्ड मतों से सांसद बने और चौथी विधानसभा में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के हटने के बाद 115 दिन के लिए तीरथ सिंह मुख्यमंत्री भी बन गए।

उत्तराखंड चुनाव नामांकन दौर इतिहास के झरोखे से !

20 जनवरी से उत्तराखंड की चौथी विधानसभा के नामांकन शुरू होने हैं लेकिन चर्चा भाजपा खेमे में टिकट कटने की जोरों पर है। अजीब संयोग है — भाजपा के वर्तमान विधायकों का टिकट कटना तय माना जा रहा है और इन सब का श्रेय कांग्रेस से भाजपा में शरण पाये विवादित नेताओं को दिया जा रहा है ।

इन अफवाहों में कितना दम है — यह तो अगले सप्ताह स्तह पर आ जायेगा लेकिन सब गढ़वाल जनपद के भाजपा विधायकों के लिए उड़ाया जा रहा है। स्मरण रहे — उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमत्री इसी जनपद से आते हैँ। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये मुखर नेता भी गढ़वाल के हैं।

समस्या टिहरी और रूद्रप्रयाग जनपदों में भी आ रही है। यहां कांग्रेस टिकट पर भाजपा में आये विधायक कुछ सौ मतों के अंतर से जीते हैं। भाजपा के पराजित विधायक दो बार चुनाव जीते हैं और मंत्री दर्जे पाकर मुख्यमंत्री के करीबी रह चुके हैं।

हरक सिंह और सतपाल महाराज गढ़वाल जनपद के हैं और मुख्यमंत्री पद पर आसीन होना चाहते हैं क्योंकि कैबिनेट मंत्री या नेता प्रतिपक्ष का दायित्व निभा चुके हैं। अब विशेषकर गढ़वाल मंडल में अस्तित्व की लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच नही है।

सारा संघर्ष जनरल खंडूडी, सतपाल महाराज, रमेश पोखरियाल निशँक, हरक सिंह रावत, विजय बहुगुणा जैसे नेताओं के बीच सिमटता जा रहा है। यह सब एक पार्टी भाजपा और एक ही जनपद गढ़वाल का प्रतिनिधित्व करते हैं।
– भूपत सिंह बिष्ट

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