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सूर्योदय की नगरी अरूणाचल ने मनाया 36 वां स्थापना दिवस !

चार सदी पुरानी बोद्ध मोनिस्ट्री त्वांग में आज भी लामा संस्कृति संरक्षित है।

सूर्योदय की नगरी अरूणाचल ने मनाया 36 वां स्थापना दिवस !
चार सदी पुरानी बोद्ध मोनिस्ट्री त्वांग में आज भी लामा संस्कृति संरक्षित है।

20 फरवरी 1987 को केंद्र शासित प्रदेश अरूणाचल को मिला है पूर्ण राज्य का दर्जा।

उत्तरपूर्व राज्यों को पहले सात बहनों का प्रदेश कहा जाता रहा है। वृहद असम से अलग हुए ये राज्य कभी असम की राजशाही के हिस्से रहे हैं।

1962 में चीन आक्रमण के समय अरूणाचल को नेफा यानि नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजैंसी कहा जाता था। चीन की घुसपैठ का यह राज्य सबसे अधिक शिकार है।

 


अरूणाचल की सीमायें भूटान, चीन और बर्मा के साथ जुड़ती हैं।

20 जनवरी 1972 में नेफा को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा मिला। सीमांत राज्य को विस्तारवादी चीनी कब्जे से बचाने के लिए सड़क, शिक्षा व अस्पताल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास किया जाना जरूरी है।

इन परिस्थितियों में अरूणाचल 20 फरवरी 1987 को अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया।

देश का 27 वां राज्य, एक राज्यसभा व दो लोकसभा सदस्य, 60 विधानसभा सदस्य,

राजधानी ईटानगर, हाईकोर्ट गुवाहाटी – बैंच ईटानगर,

भाषा – 50 आंचलिक बोलियां हिंदी, अंग्रेजी, मोंपा, मिजी, अका, शर्दूकपेन, आदि, निशी, आपातानी, तगिन,दीगारू, खामटि, नोकटा, तांगसा, वांचू आदि, और बौद्ध, हिंदू और ईसाई प्रमुख धर्म हैं।

2011 जनगणना में जनसंख्या 13 लाख 82 हजार 611, एरिया नार्थ ईस्ट में सबसे बड़ा 83 हजार 743 वर्ग किमी, जनसंख्या घनत्व 17 प्रति किमी, साक्षरता 67 प्रतिशत, 25 जनपद बनाये जा चुके हैं।

हिमालयी राज्य अरूणाचल प्रदेश का 60 प्रतिशत भू भाग जंगल, प्रमुख नदियां सियांग – ब्रह्मपुत्र, दिबांग, कामेंग, लोहित, तिरप और सुबांसिरी हैं।

 

वन उत्पाद के अलावा, कोयला, डोलोमाइट, मारबल, लैड, जिंक, ग्रेफाइट, फल प्रसंस्करण, हैंडलूम – हैंडीक्राफ्ट, कृषि व फल उत्पादन आर्थिकी का आधार है।

 

दो दशक से टूरिज्म इंडस्ट्री ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं और टूरिस्ट त्वांग, बोमडिला, माचुका, दापुर्जो, तेजु, पासीघाट जैसे दो दर्जन टूरिस्ट डेस्टिनेसन वाटर स्पोर्टस, संगीत व डांस फेस्टिवल और वाइल्ड लाइफ भारत दर्शन कराते हैं।

अरूणाचल के बच्चे शिक्षा प्राप्त करने देहरादून, दिल्ली, गोहाटी, कलकत्ता से लेकर दक्षिण भारत के सभी नगरों तक आ रहे हैं।
– भूपत सिंह बिष्ट

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