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सुप्रीम कोर्ट से छात्रों को नहीं मिली राहत – सीबीएसई परीक्षायें अप्रैल में !

आनलाइन पढ़ाई की कमियों को आधार बनाकर परीक्षा के बदले मूल्यांकन पद्धति की मांग ठुकरायी।

सुप्रीम कोर्ट से छात्रों को नहीं मिली राहत – सीबीएसई परीक्षायें अप्रैल में !

आनलाइन पढ़ाई की कमियों को आधार बनाकर परीक्षा के बदले मूल्यांकन पद्धति की मांग ठुकरायी।

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड संक्रमण को लेकर सीबीएसई और आईसीएसई की 10 वीं और 12 वीं परीक्षा कार्यक्रम में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।

कुछ छात्रों और अभिभावकों की ओर से दायर पीआईएल ( पब्लिक इंट्रस्ट लिटिगेशन ) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

जस्टिस एएम खानविलकर की बैंच ने कहा है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद – सीबीएसई और छात्र अपनी तैयारियों में जुट जांये।
कुछ छात्रों ने उम्मीद लगा रखी थी – इस बार भी सुप्रीम कोर्ट से बिना परीक्षा कराये मूल्यांकन परिणाम की राहत छात्रों को मिल सकती है।

कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों में परीक्षा आयोजित ना करने की अपील सुप्रीम कोर्ट में डाली गई थी। स्कूलों में आनलाइन परीक्षा का दबाव भी कुछ छात्र और अभिभावक बना रहे थे। आन लाइन क्लास हो सकती है तो आन लाइन परीक्षा क्यूं नहीं हो सकती है ?

कई स्कूलों में अंग्रेजी जैसे आर्ट विषय की मौखिक परीक्षा आनलाइन लेनी शुरू हो चुकी है। कोर्ट ने छात्रों को सीबीएसई परीक्षा में शामिल होने को कहा है।

बैंच का मानना है कि पिछले निर्णय को हर बार आधार नहीं बनाया जा सकता है। नए तथ्यों के अनुरूप निर्णय में बदलाव होते हैं।
महामारी के समय परीक्षा आयोजित करने के कायदे – कानून बने हुए हैं और माध्यमिक परिषद ने परीक्षा आयोजित करने का निर्णय ले लिया है।

पीआईएल में राहत मांगी गई थी कि स्कूलों में कक्षायें आयोजित नहीं हो पायी हैं सो छात्रों को पास करने के लिए मूल्यांकन सिस्टम बनाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट दे।

कोर्ट ने मामले को समय से पहले दायर और अनुचित सलाह का  मानकर खारिज किया है।
अब 10 वीं और 12 वीं की  सीबीएसई और आईसीएसई की परीक्षायें स्कूलों में अप्रैल माह से आयोजित करने में कोई वैधानिक अड़चन नहीं है।
पदचिह्न टाइम्स।

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