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भारत दर्शन :  “इंडियन रेल” 50 घंटे में उत्तर से दक्षिण  तीन हज़ार किलोमीटर !

चंद्रपुर स्टेशन -  हिंदी शब्दकोश को "मूत्रीघर" से समृद्ध करते हैं - आशय भाषा जटिल नहीं, सरल और प्रवाहपूर्ण हो

भारत दर्शन के लिए  “इंडियन रेल” का  हसीन सफर 50 घंटे में उत्तर से दक्षिण  तीन हज़ार किलोमीटर !

— भूपत सिंह बिष्ट

दिल्ली से सुदूर कन्याकुमारी दक्षिण अँचल पहुँचने के लिए नामचीन केरल एक्सप्रेस का सफर जीवन में शिक्षा की  डिग्री पाने जैसा है।

हवाई जहाज के तीन घंटे की तुलना में, रेल के  पचास घंटे निसंदेह भारत दर्शन कराते हैं।

झाँसी के निकट पहाड़ियों पर  मंदिर सांस्कृतिक धरोहर और चंद्रपुर स्टेशन –  हिंदी शब्दकोश को “मूत्रीघर” से समृद्ध करते हैं।

आशय यह है कि भाषा का जटिल नहीं, सरल और प्रवाहपूर्ण होना जरुरी है।

 

पिछले 47 सालों से उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाली यह कड़ी रोजाना 3033 किमी सफर तय करने नई दिल्ली स्टेशन से 20.10 बजे दिन में छूटती है और पचास घंटे के सफर के बाद केरल की राजधानी तिरुवंतपुरम ((त्रिवेंद्रम) पहुँचती है। 

ट्रेन संख्या 12626 अपने लक्ष्य तक पहुँचने में 43 स्टेशनों में रुकती है और लगभग चार सौ स्टेशनों से होकर गुजरती है। 

दिल्ली से मथुरा, आगरा, झाँसी, भोपाल, नागपुर, सेवाग्राम, वारंगल, विजयवाड़ा, नैल्लोर, रैनीगुंटा (तिरुपति धाम के लिए चैन्नई से भी निकटतम स्टेशन), तिरुपति, चित्तूर, सेलम, इरोड़(उत्तर भारत को हैंडलूम वस्त्र सप्लाई करने वाले प्रमुख केंद्र), कोयमबटूर के बाद केरल प्रांत के पालाकाड़, अर्नाकुलम, वायकाम(दक्षिण सिने स्टार मुमटी का शहर),कोटायम, कोलम(विश्व प्रसिद्ध समुद्र तट) पर रुकती हुई त्रिवेंद्र पहुँचती है।

 

हां, ट्रेन में लेटकर कमर दर्द हो सकता है सो पढ़ने, लिखने, खाने – पीने और मनोरंजक साधन भी साथ रखें।

पदचिह्न टाइम्स।

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