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कौन बनेगा मुख्यमंत्री धामी या अजय भट्ट – फिर चलेगी कोशियारी गुट की !

अब फिर गढ़वाल के सिर सजेगा ताज - सतपाल महाराज, धन सिंह रावत , त्रिवेंद्र रावत या तीरथ सिंह रावत।

कौन बनेगा मुख्यमंत्री धामी या अजय भट्ट, फिर चलेगी कोशियारी गुट की ?

अब फिर गढ़वाल के सिर सजेगा ताज – सतपाल महाराज, धन सिंह रावत ,  त्रिवेंद्र रावत या
तीरथ  सिंह रावत।

बीजेपी को उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत मिला है और यह बहुमत से 12 अधिक हैं।


अब मुख्यमंत्री गढ़वाल मंडल से होगा या कुमायूं मंडल में पुष्कर सिंह धामी को भाग्यशाली मानकर हाईकमान फिर से सत्ता सौंप देता है तो कोई आश्चर्य नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर हर दूसरा केंद्रीय मंत्री पुष्कर सिंह धामी का कायल रहा है।

हो भी क्यों ना ! पुष्कर ने सीएम की पारी में एक पल का विश्राम नहीं किया। केंद्र सरकार के अनुदेशों से लेकर गढ़वाल – कुमायूं के बीच संतुलन साधने में अपने खास मंत्रालय भी सतपाल महाराज, धन सिंह रावत और यशपल आर्य के हवाले कर संतुष्टि का बोध कराया है।

पुष्कर सिंह धामी के कंधे में नरेंद्र मोदी ने हर जनसभा में अपना हाथ रख कर शाबासी दी है और अब पुष्कर सिंह धामी को यूं चलता नहीं किया जा सकता है – अन्यथा हाईकमान पर विश्वास डिगने वाला है।

मुख्यमंत्री का चुनाव  यदि सांसद से होता है तो भगत सिंह कोशियारी के लाडले अजय भट्ट की किस्मत परवान चढ़ सकती है। अनिल बलूनी तो शुरू से मोदी – अमित शाह के निकटतस्थ माने जाते हैं।

 


तीरथ सिंह रावत ने केंद्र के इशारे पर मुख्यमंत्री का पद संभाला लेकिन छोड़ते हुए एक पल नहीं लगाया मानो भरत बन कर अयोध्या का शासन संभाल रहे हैं।

त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम के पद से बजट सत्र के बीच चार साल पूरे करने से पहले चलता किया गया – वो भी हाई कमान से निकटता रखते हैं।

अब धन सिंह रावत का नाम भी सजीव हो उठा है और गणेश गोदियाल से कड़ी टक्कर के बाद श्रीनगर से विधायकी हाथ लगी है और बीजेपी के ट्रेक रिकार्ड को देखते हुए यह भी संभव है।

उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के पांच पहाड़ी जिलों में 20 सीट हैं और भाजपा को 17 मिली हैं।

कुमायूं मंडल के पांच पहाड़ी जिलों की 20 सीटों में बीजेपी को मात्र 14 सीट हासिल हुई हैं।

देहरादून की 10 में से 9 सीट बीजेपी को मिली हैं – जबकि हरिद्वार और उधम सिंह नगर का परिणाम बीजेपी के लिए सामान्य रहा है।
ऐसे में गढ़वाल मंडल का पलड़ा भारी है – बाकि मर्जी तो दिल्ली की चलनी है और केंद्र का आदेश विधायकों के सिर – माथे पर सजना है।
पदचिह्न टाइम्स।

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