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उत्तराखंड में 11 दिन की मंत्रणा बीजेपी ने फिर जताया धामी सरकार पर भरोसा !

गढ़वाल के कई चेहरे हुए हताश और एक बार फिर कोशियारी गुट ने बाजी मारी - अब मंत्री पद पर दाव।

उत्तराखंड में 11 दिन की मंत्रणा बीजेपी ने फिर जताया धामी सरकार पर भरोसा !

गढ़वाल के कई चेहरे हुए हताश और एक बार फिर कोशियारी गुट ने बाजी मारी – अब मंत्री पद पर दाव।

सतपाल महाराज से लेकर धन सिंह रावत खेमे में निराशा छायी – निशंक के लिए लाबी कर रहे अनेक पत्रकार और मीडिया हाउस भी ठगे रह गए।

परिदृश्य यह बना कि निवर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के रिकार्ड मत से चुनाव हारने के बाद स्थिर सरकार के लिए बीजेपी पुराने मुख्यमंत्रियों पर दाव चलेगी।

हाईकमान की पहली पसंद राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी गढ़वाल की शून्यता को भर देंगे।  आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में गढ़वाल मंडल की तीनों सीटों पर बीजेपी को बढ़त रहेगी।

मीडिया में केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट का नाम भी तैर रहा था और यह भगत सिंह कोशियारी खेमे के पक्ष में जा रहा था। लोकसभा सांसद को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी लोकसभा चुनाव से बच गई है।

 


अनिल बलूनी को ना चुनकर मीडिया का एक तबका निशंक का वीटो बता रहा है।

हकीकत यह भी है कि राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी उत्तराखंड की राजनीति में पूरा हस्तक्षेप रखते हैं – स्वास्थ्य कारणों से उन्हें दबाव से परे रखा गया है, यह चर्चा भी आम रही है। फिलहाल उन की प्रोफेसर पत्नी भी दिल्ली में डेपुटेशन में चल रही हैं और राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख का दायित्व अब गढ़वाल मंडल के पास प्रमुख दायित्व है।

पुष्कर सिंह धामी को फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली है – जबकि उनके वोटर ने खटीमा विधानसभा से हरा दिया है।

यह मौका उत्तराखंड में जनरल भुवन चंद्र खंडूडी और हिमाचल के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को चुनाव हारने पर बीजेपी ने नहीं दिया।
हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के पिता हैं।


अब देखना यह भी हैं – पुष्कर सिंह धामी फ्लावर हैं या केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के शब्दों में फायर हैं।

धामी अपने मंत्रालय में कितने पूर्व कांग्रेसी और कितनी महिलाओं को लेते हैं। वज़नदार मंत्रालय अपने पास रखते हैं या बुजुर्ग नेताओं के हवाले करते हैं।

अगले पांच साल की राजनीति अब इस पर निर्भर है – मदन कौशिक खेमा, पूर्व कांग्रेसी खेमा, धन सिंह रावत खेमा और जनरल खंडूडी की विधायक बेटी रीती खंडूडी भूषण स्थान पाती हैं या धामी टीम भी दिल्ली से तय होनी है।

पिछली बार पांच साल में उत्तराखंड ने तीन मुख्यमंत्री इसी अस्थिरता के चलते देखे हैं।
पदचिह्न टाइम्स।

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