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चैत्र और शारदीय नवरात्रि पर्व के अनछुए पहलु !

रावण की मृत्यु से पहले केवल चैत्र नवरात्रि मनाई जाती थी।

चैत्र और शारदीय नवरात्रि पर्व के अनछुए पहलु !
रावण की मृत्यु से पहले केवल चैत्र नवरात्रि मनाई जाती थी।NAV

फोटो प्रस्तुति – रंजना सूद चौधरी

नवरात्र पर्व  हमेशा दो  ऋतुओं के संक्रमण काल में मनाए जाने वाला त्यौहार  है। एक अश्विन नक्षत्र माह  यानी शारदीय नवरात्र तथा  दूसरा चैत्र माह  नवरात्र कहलाता  है।

 


– ऐसा माना जाता है – रावण के मारे जाने से पहले केवल चैत्र नवरात्रि ही मनाई जाती थी।

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत भगवान श्रीराम ने की है – ऐसा  जनमानस का विश्वास है।

दो बार नवरात्रि पर्व होने के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण माने जाते हैं। प्रकृति और ऋतुओं के अनुसार  नवरात्रि त्यौहार  ग्रीष्म और सर्दियों की शुरुआत से पहले आयोजित होती है। प्रकृति परिर्वतन का यह उत्सव  है।

चैत्र नवरात्रि के पीछे यह भी कहा जाता है – नए अनाज के आगमन पर  खुशहाली के लिए यह पर्व मनाया जाता है।

किसान नए अनाज को  बाजार में विक्रय करते है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मार्च और अप्रैल के बीच, फिर सितंबर और अक्टूबर माह के बीच, दिन और रात  बराबर हो जाते है। दिन और रात बराबर होने पर – नवरात्र का त्यौहार मनाने का  वैज्ञानिक आधार कह सकते हैं।

दोनों ही नवरात्र का  एक विशेष महत्व है। नवरात्रि मनाने के पीछे आध्यात्मिक, प्राकृतिक, आर्थिक  और पौराणिक सभी वजहें मौजूद हैं।

श्री राम ने की शक्ति अराधना !

RANJANA SOOD CHAUDHARY

भगवान श्री राम ने रावण से युद्ध से पहले शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा की पूजा – अर्चना की।

मां के आर्शीवाद के लिए अब सभी जन  दुर्गा की स्तुति करते हैं   और अब  हर साल दो बार नवरात्रि पर्व दुर्गा माँ के विभन्न स्वरूपों की पूजा का आयोजन होने लगा है।

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