कांग्रेस ने सारे घर के बदल दिए – यशपाल, करण माहरा और भुवन कापड़ी पर दारोमदार !
बीजेपी ने भी गढ़वाल की तव्वजों कम की है – अब नई रणनीति और नेतृत्व के मापदंड बदल रहे हैं।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में सरकार बनाने का दावा करने वाली कांग्रेस, परिणाम आने पर औंधे मुंह धराशायी हुई तो पार्टी ने सीधे अपने पुराने सुबेदारों के पर कतर दिए।
नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल अपना चुनाव हार गए और कांग्रेस 19 सीटों तक ही सिमट कर रह गई। गणेश गोदियाल से इस्तीफा लिया गया और चुनाव अभियान से जुड़े नेताओं की क्षमता को खत्म मानकर कांग्रेस ने नए सुबेदार तय किए हैं।
गढ़वाल की उपेक्षा का आरोप कांग्रेस पर इसलिए चस्पा नहीं हो रहा है क्योंकि कांग्रेस को कमबैक करना है। साथ ही अपने वर्तमान आभा मंडल को बीजेपी से बचाकर चलना है।
गढ़वाल मंडल के पांच जनपदों में कांग्रेस 31 विधानसभा सीटों में मात्र 03 जीत पायी है। पौड़ी जिले में कांग्रेस लगातार दूसरी बार बीजेपी से सभी 6 विधानसभा हारी है। उत्तरकाशी और रूद्रप्रयाग जिले में भी कांग्रेस का खाता नहीं खुला है।
देहरादून जनपद में कांग्रेस पिछले 10 सालों से मात्र 01 चकराता सीट पर ठहरी हुई है।
कुमायूं की 29 सीटों में कांग्रेस 11 विधानसभा जीतने में कामयाब रही है सो कांग्रेस संगठन में करण माहरा प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष (कैबिनेट मंत्री प्रोटोकाल) यशपाल आर्य और भुवन कापड़ी उपनेता सदन की ताजपोशी स्वाभाविक हुई है।
बीजेपी ने ऐसे अभियान में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चार साल पूरा करने से पहले सरकार की एंटी इनकमबैंसी – सरकार से निराशा के चलते हटा दिया था। आजतक गढ़वाल के बड़े चेहरे त्रिवेंद्र को बड़ी भूमिका नहीं मिल पायी है।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद पर पहाड़ में कम लोकप्रिय हरिद्वार के बड़े चेहरे मदन कौशिक की ताजपोशी की गई। मदन कौशिक के नेत्त्व में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनके करीबी मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद चुनाव हार गए।
हरिद्वार जनपद की 11 विधानसभा सीटों में बीजेपी मात्र 3 जीत पायी। 5 कांग्रेस, 2 बहुजन समाज पार्टी और एक निर्दलीय विधायक जीतकर आये हैं।
बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन हरिद्वार और उधम सिंह नगर जनपद में रहा है। भले ही बीजेपी पांचवी विधानसभा में 49 का प्रचंड बहुमत रखती है।
कांग्रेस ने नेता विपक्ष का पद अपने वरिष्ठ अनुभवी और चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर घर लौटे यशपाल आर्य को सौंपकर पूरी संजीदगी का परिचय दिया है।
प्रीतम सिंह अपने गृह जनपद में दूसरी बार कांग्रेस पार्टी को स्थापित करने में पूरी तरह से असफल रहे हैं। कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष जैसे प्रमुख पद प्रीतम सिंह को दिए लेकिन देहरादून में कांग्रेस 10 में से मात्र 01 सीट पर ही 10 साल से सिमट कर रह गई। इस बार प्रीतम सिंह को कांग्रेस में स्थान नहीं मिला है।
करण माहरा को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर नई उर्जा का संचार किया है। 2017 के चुनाव में करण माहरा ने बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट को अल्मोड़ा की रानीखेत विधानसभा सीट पर हरा चुके है।
डिप्टी नेता सदन पद पर भुवन कापड़ी की ताजपोशी आशातीत है। बीजेपी के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खटीमा विधानसभा सीट पर हराने वाले भुवन कापड़ी अब देश में बड़ा नाम कमा चुके हैं और जनता जनार्दन के चेहते हैं।
अब बीजेपी के पत्ते खुलने बाकि हैं – गढ़वाल मंडल में 41 में से 29 विधानसभा और कुमायूं में 29 में से 18 सीटें जीताने में सत्ता संतुलन कब दुरूस्त होता है।
गढ़वाल सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के पौड़ी संसदीय क्षेत्र में बीजेपी ने 14 में से 13, टिहरी लोकसभा में 14 में 11 , अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र में 14 में से 09, अजय भट्ट के नैनीताल संसदीय क्षेत्र में 14 में से 08 और हरिद्वार संसदीय सीट पर बीजेपी की उपलब्धि 14 में से मात्र 06 विधानसभा में जीत दर्ज की है।
– भूपत सिंह बिष्ट