सरकार संविधान का पालन कराये तो कोर्ट में मुकदमें कम होंगे – चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट !
छह साल बाद मुख्यमंत्रियों और चीफ जस्टिस हाई कोर्ट के संयुक्त सम्मेलन में जनता की न्याय अभिलाषाओं पर चिंतन - मनन।
सरकार संविधान का पालन कराये तो कोर्ट में मुकदमें कम होंगे – चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट !
छह साल बाद मुख्यमंत्रियों और चीफ जस्टिस हाई कोर्ट के संयुक्त सम्मेलन में जनता की न्याय अभिलाषाओं पर चिंतन – मनन।
दिल्ली में कार्य पालिका और न्याय पालिका के संयुक्त सम्मेलन में जनता को त्वरित न्याय सुलभ कराने और लोकतंत्र को मजबूत करने का आह्वान हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिसों के संयुक्त सम्मेलन का उदघाटन किया।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश सीवी रमण ने इस अवसर पर कहा – कार्यपालिका के अधिकारी यदि संविधान के अनुपालन में कोताही ना करें तो कोर्ट में मुकदमों की आ रही बाढ़ को रोका जा सकता है।
चीफ जस्टिस ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को स्मरण कराया कि तहसीलदार यदि किसान को न्याय सुलभ करा दे।
पंचायती कानूनों का ठीक से पालन हो जाए तो 66 प्रतिशत कृषि से जुड़े मामले समाप्त हो सकते हैं।
पुलिस अपराध की जांच में संविधान का पालन करे तो अन्याय के पीड़ित कोर्ट का रुख नहीं करेंगे।
नगर पालिका अपने कानून का मजबूती से पालन करें, कर्मचारियों की वरीयता, सेवा मामलों में संविधान का अनुपालन सुनिश्चित हो तो कोर्ट में इन सामान्य मामलों की संख्या में करोड़ों की कमी आयेगी।
सबसे ज्यादा मुकदमें सरकार ही लड़ रही है और यह संख्या पचास प्रतिशत है।
सरकार के खिलाफ दिए गए निर्णय का अनुपालन ना होने पर अब न्यायपालिका की अवमानना नया मुकदमा दर्ज हो रहा है।
यह परिस्थितियां लोकतंत्र और सुलभ न्याय के खिलाफ हैं।
सरकारों को संविधान से आबद्ध रहना है और ऐसे कानून पास करने हैं – जिन से मुकदमों में तेजी से कमी आये।
कानून बनाते वक्त हड़बड़ी की जगह विस्तृत बहस को प्राथमिकता मिले।
न्यायपालिका में पड़े खाली पद और मुकदमों की बाढ़ को रोकने की जिम्मेदारी कार्यपालिका की भी है।
सरकार के खिलाफ निर्णय देना संवैधानिक डयूटी का पालन करना है और लोकतंत्र में यह दायित्व न्यायपालिका को दिया गया है।
जनप्रतिनिधि भी संविधान का शासन चलाने के लिए निर्वाचित किए जाते हैं।
पदचिह्न टाइम्स।