कश्मीरी पंडितों का श्रीनगर घाटी से पलायन बदस्तूर जारी !
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने जम्मू – कश्मीर हाइकोर्ट से सुरक्षा गुहार की फरियाद लगायी।
श्रीनगर घाटी में बढ़ रही हत्या की घटनाओं ने एक बार फिर कश्मीरी पंडितों ने पलायन करना शुरू कर दिया है।
कश्मीर फाइल फिल्म भले ही सरकार ने टैक्स फ्री कर दिया लेकिन कश्मीरी पंडितों के हालात नहीं सुधरे हैं।
धारा 370 हटाने के बाद श्रीनगर घाटी में अचानक आतंकवादी वारदातों में कश्मीरी पंडित हिंसा के शिकार होने लगे हैं।
आतंकवादियों ने केंद्रशासित कर्मचारियों को निशाना बनाकर केंद्र सरकार को चुनौती देना शुरू किया है।
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने जम्मू – कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर भारत सरकार और केंद्रशासित प्रशासन से सुरक्षा प्रबंध बढ़ाने की गुहार लगायी है।
संघर्ष समिति ने हिंसा थमने तक कश्मीरी पंडित कर्मचारियों और परिवारों को जम्मू के सुरक्षित क्षेत्रों में तैनाती कराने की मांग की है।
मतान, वैसू, शेखपूरा, बारामूला और कुपवाड़ा की ट्रांजिट कालोनियों से परिवारों ने पलायन किया है।
स्कूल अध्यापिका और बैंक मैनेजर की टारगेट हत्या के बाद पलायन ने फिर जोर पकड़ा है।
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू का कहना है – कश्मीरी पंडितों का पलायन 1990 से बदस्तूर जारी है।
टारगेट किलिंग ने कर्मचारियों और परिवार को हिलाकर रख दिया है। सिफारिशों लोगों ने पहले ही सुरक्षित इलाकों में पोस्टिंग करा ली है।
कश्मीरी पंडित और हिंदू दहशत और हिंसा के बीच घाटी में नौकरी नहीं करना चाहते हैं लेकिन केंद्रशासित प्रदेश में सुनवायी नहीं हो पा रही है सो हमने पिछले आठ माह की घटनाओं का हाइकोर्ट से संज्ञान लेने की अपील की है।
पंडित कर्मचारियों का मानना है कि सुरक्षा उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं। बड़ी संख्या में परिवार लगभग तीन सौ किमी दूर जम्मू जनपद की और जा रहे हैं।
खास बात यह है कि अब मुस्लिम सहकर्मी पंडितों की हत्या की खिलाफत कर रहे हैं।
अनंतनाग जामा मस्जिद के इमाम ने अल्पसंख्यक लोगों की हत्या की निंदा की है और बहुसंख्यक से टारगेट किलिंग के खिलाफ सुरक्षा मुहैया कराने का आह्वान किया है।
द कश्मीर चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रिज ने मासूम लोगों की हत्या को मानवता के खिलाफ अपराध बताया है।
यह कश्मीरियत के खिलाफ है और पूरी दुनिया में कश्मीर की संस्कृति और छवि पर दागदार धब्बा हैं।
पदचिह्न टाइम्स।