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 विधानसभा बजट सत्र गहमागमी – 3815 उत्तराखंड पैंशनर्स अंशदान गोल्डकार्ड योजना से असहमत !

विधानसभा बजट सत्र पक्ष - विपक्ष की नेतृत्व क्षमता उभरी - उत्तराखंड डीआईपीआर फेसबुक पेज पर विधानसभा कार्यवाही का लाइव प्रसारण।

 विधानसभा बजट सत्र गहमागमी – 3815 उत्तराखंड पैंशनर्स अंशदान गोल्डकार्ड योजना से असहमत !

विधानसभा बजट सत्र पक्ष – विपक्ष की नेतृत्व क्षमता उभरी – उत्तराखंड डीआईपीआर फेसबुक पेज पर विधानसभा कार्यवाही का लाइव प्रसारण।

 

उत्तराखंड विधानसभा का पहला बजट सत्र आहुत है – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने अपना आम बजट वर्ष 2022 – 23 के लिए प्रस्तुत किया।

पांचवी विधानसभा में पहला बजट पेश करने का श्रेय वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को मिला है।  बजट में कोई नया टैक्स नही, पुरानी योजनाओं को ही गिनाया गया है।

65571 करोड़ के बजट में 21452 करोड़ केंद्र पोषित योजनाओं के तहत मिलने की आशा है।  बजट में व्यापारी , किसान, युवाओं , महिलाओं पर फोकस रखा गया है।

बजट का 48 फीसदी वेतन, पेंशन, ब्याज भुगतान पर खर्च होना है।  राजस्व घाटे का विस्तृत अनुमान लगाया जाना अभी बाकि है।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा  – सरकार नए राजस्व साधन कमाने की जगह केवल ऋण लेने के भरोसे है।

2017 से 2021 तक 57152 करोड़ रूपये का कर्ज सरकार ने लिया है।  2002 से 2017 तक यह कर्ज 35 हजार करोड़ का था।

लेकिन पिछले 5 सालो में सरकार ने सबसे अधिक कर्ज लिया है।

आज उत्तराखंड में 97 हजार रूपये का कर्जा हो चुका हैं। टोटल कर्ज प्रदेश में अब तक 1 लाख 5 हजार करोड़ रूपये पहुँच गया हैं। 

कर्ज लेने के मामले में उत्तराखंड क़ी स्थिति कहीं श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे न हो जाए।  सरकार के अंधाधुंध खर्च ऋण लेकर घी पीने की कहावत को साबित करते हैं।

सरकार के पक्ष में विधायी मंत्री प्रेम अग्रवाल, मंत्री रेखा आर्य, मंत्री धन सिंह रावत पूरी तैयारी से सदन में  उपस्थित रहे हैं।

सदन में विपक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ और युवा विधायक सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

सरकार ने सदन में बताया – अभी 14 बंटवारे के विषय उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच पैंडिंग हैं।

 

यशपाल आर्य, भुवन कापड़ी, प्रीतम सिंह, ममता राकेश और अनुपमा रावत ने अपने पूरक सवालों से सरकार को बेचैन किया।

ग्रीष्म राजधानी गैरसैण में विधानसभा सत्र आयोजित न कर पाने पर सरकार निशाने पर रही।  विकास प्राधिकरण को लेकर सरकार की ढुलमुल नीति विपक्ष का मुद्दा बनी।

विधानसभा अध्यक्षा ऋतु खंडूडी भूषण अपनी प्रभावी भूमिका में हैं।  सदन में विपक्ष को कार्यवाही में भाग लेने के पर्याप्त अवसर अब तक मिले हैं।

मंत्री रेखा आर्य ने डिजिटल राशन कार्ड और बाल कल्याण वजीफे पर सवालों की बौछार झेली।

उत्तराखंड रोड़वेज के राजस्व, सीएनजी जैसे तकनीकी मामलों पर प्रीतम सिंह के नपे तुले सवालों की जद में परिवहन मंत्री चंदनराम दास रहे।

मंत्री चंदनराम दास की तबीयत सदन में नासाद होने पर उन्हें मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया – अब उन्हें एयर एंबुलैंस से मेदांता अस्पताल में भेजा गया है।

वनाग्नि को लेकर मंत्री सुबोध उनियाल पक्ष और विपक्ष दोनों विधायकों के सवालों की जद में रहे।

जंगली जानवरों से फसल की क्षतिपूर्ति को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने सरकार को घेरा और आधुनिक तौर तरीकों से क्षतिपूर्ति वितरित करने के सुझाव दिए।

सहकारी बैंक में चतुर्थ श्रेणी भर्ती में गड़बड़ी के मामले उठाने और एसआईटी की जांच कराने में प्रीतम सिंह सफल रहे।

सहकारी मंत्री धन सिंह रावत ने भर्ती घोटाले को लेकर स्पष्ट किया – सहकारी बैंकों में 433 पदों की भर्ती के लिए आईबीपीएस संस्था की सेवायें ली हैं और इस परीक्षा में 47 हजार आवेदन आए।

मंत्री ने कहा – बड़े भाई साहब (प्रीतम सिंह) कहना चाह रहे हैं कि चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति में गड़बड़ी हुई है लेकिन नियुक्ति का यह अधिकार कांग्रेस सरकार ने बोर्ड में निहित किया था।

प्रीतम सिंह ने हंगामे के बीच सरकार को लाजवाब किया – भर्ती किसी भी सरकार ने की हो, मंत्री महोदय अनियमितता और गड़बड़ी की जांच करायेंगे ?
मंत्री धन सिंह रावत ने हरिद्वार जनपद की नियुक्तियों की जांच के लिए एसआईटी की बात सदन में कहनी पड़ी।

हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत ने गुर्जरों को वन भूमि में भूमिधर अधिकार की मांग सदन में उठायी।

हेल्थ मिनिस्टर ने सदन में बताया कि हाईकोर्ट निर्देशानुसार सरकार पोर्टल के माध्यम से पैंशनर्स से गोल्डकार्ड की सहमति ले रही है।
3815 पैंशनर्स ने अपनी असहमति दी है।

सरकार गोल्डन कार्ड अंशदायी स्कीम चला रही है और अपने वेतनमान के अनुरूप कार्ड धारकों को मासिक योगदान देकर कैशलेस उपचार सरकारी – गैर सरकारी हास्पीटल में उपलब्ध हो रहा है।

हेल्थ मिनिस्टर धन सिंह रावत ने यह स्पष्ट नहीं किया – यदि पैंशनर्स अंशदान कार्ड न लें तो उन को व आश्रितों को उपचार कैसे मिलेगा।

– भूपत सिंह बिष्ट

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