अब जनरल खंडूडी की बेटी करेंगी उत्तराखंड युवाओं का न्याय !
मुख्यमंत्री धामी ने सिफारशी नियुक्तियों पर एसटीआफ लगाने के बाद स्पीकर ऋतु खंडूडी से की अपील।
अब जनरल खंडूडी की बेटी करेंगी उत्तराखंड युवाओं का न्याय !
मुख्यमंत्री धामी ने सिफारशी नियुक्तियों पर एसटीआफ लगाने के बाद स्पीकर ऋतु खंडूडी से की अपील।
उत्तराखंड राजकोष को चूना लगाने के लिए बंदर बांट की तरह हुई बंद कमरों की नियुक्तियों का सैलाब अब पूरे देश की जानकारी में आ गया है।
पांचवीं विधान सभा के दौरान उभरे नौकरी घोटाले ने बीजेपी नेताओं के साथ आरएसएस प्रचारकों के लिए भी संशय का माहौल बना दिया है।
मुख्यमंत्री धामी का विधानसभा स्पीकर ऋतु खंडूडी को लिखा पत्र सोशल मीडिया में तेजी से फैला है।
इस में मुख्यमंत्री धामी ने अपील की है — विधानसभा स्वायत्तशासी संवैधानिक संस्था है, इस की गरिमा बनाये रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलैक्ट्रानिक मीडिया में विधानसभा सचिवालय में कतिपय नियुक्तियों में अनियमितता के आरोप चर्चा में हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्भिक होकर नेता, अधिकारी और शिक्षा माफिया की जांच स्पेशल टास्क फोर्स को देकर दो दर्ज़न से अधिक आरोपियों को हवालात भेजा है।
देश में ईमानदारी की कड़क मिसाल पूर्व केंद्रीयमंत्री तथा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री जनरल भुवन चंद्र खंडूडी की सुपुत्री श्रीमती ऋतु खंडूडी भूषण पर उत्तराखंड के युवाओं की निगाहें टिकी हैं।
विधानसभा की लगभग पांच सौ बिना परीक्षा की भर्तियों में परिवारवाद, सिफारिश और गोलमाल पर सुशिक्षित स्पीकर कितनी जल्दी, क्या निर्णय लेती हैं ?
नवंबर 2000 से विधानसभा सचिवालय में बैकडोर भर्ती का प्रचलन फिलहाल विगत स्पीकर प्रेम अग्रवाल तक निर्बाध जारी रहा है।
पिछले स्पीकर गोविंद कुंजवाल व प्रेम अग्रवाल अपनी मनचाही नियुक्तियों के लिए सुचिता और सुशासन को ताक पर रखकर अपनी गलतियों पर इतराते नज़र आते हैं।
विधानसभा की नियुक्तियों में वित्तिय स्वीकृति और सार्वजनिक विज्ञापन न होना – पिछले दो दशक से देवभूमि उत्तराखंड की लचर व्यवस्था का माडल है।
संविधान को धता बताकर पूर्व शिक्षा मंत्रियों ने जनता विद्यालयों में प्रबंधकों व अधिकारियों के साथ सांठगांठ से शिक्षकों के पद लाखों में बेचने की परिपाटी शुरू की।
पौड़ी के एक जिलाधिकारी ने जब जनता स्कूलों में धनबल के शिक्षकों का वेतन रोककर कार्रवाई शुरू की तो देहरादून से पूर्व मंत्री नैथाणी ने वीटो कर दिया।
उच्च शिक्षा की तदर्थ नियुक्तियों में भी बड़ा खेल हुआ है।
जानबूझकर सरकारी डिग्री कालेजों की जगह कानपुर से संचालित डिग्री कालेज में बड़े पैमाने पर मनचाहे नियमों से भर्तियां जारी हैं।
क्या कारण हैं – जिन विद्यालयों – डिग्री कालेज के लेक्चररों का वेतन राजकीय कोष से जारी होता है, वहां अब तक नियुक्ति और ट्रांसफर के कोई कानून नहीं है।
अनियमित भर्तियों के मामले अब हर विभाग में खुलते दिख रहे हैं।
सरकारी चयन आयोग को नियुक्तियों में पारदर्शी और फूल प्रूफ बनाने की जगह शुरू से असफल बनाने की साजिश हुई है।
सो उपनल और मनचाही तरीकों से नौकरी का व्यापार परवान चढ़ा है।
– भूपत सिंह बिष्ट