एक कामरेड नेत्री ने सुनी मन की आवाज तो पोलित ब्यूरो ने दिखाया बाहर का रास्ता !
यूक्रेन - रूस के युद्ध से खिन्न कामरेड कविता कृष्णन के लिए रूस और चीन की तानाशाही अब संसदीय लोकतंत्र से बदतर।
एक कामरेड नेत्री ने सुनी मन की आवाज तो पोलित ब्यूरो ने दिखाया बाहर का रास्ता !
यूक्रेन – रूस के युद्ध से खिन्न कामरेड कृष्णन के लिए रूस और चीन की तानाशाही अब संसदीय लोकतंत्र से बदतर।
धीरे – धीरे कम्युनिजम का भूत कट्टर कामरेडस के सर से भी उतरता जा रहा है।
केंद्र में विगत आठ साल से कांग्रेस के पतन के बाद भारत की वामपंथी पार्टियां भी हाशिये में चली गई हैं।
बीजेपी ने तो वामपंथ और कामरेडस का डिब्बा गोल करने में कोई कोर कसर बाकि नहीं रखी है।
बंगाल और त्रिपुरा से वामपंथी सरकार पतन के बाद कार्ल मार्क्स, स्टालिन, रूस और चीन के वामपंथी ढ़ोंग से प्रभावित युवाओं में भारी कमी आयी है।
सोशल मीडिया में वामपंथी कामरेड भी भक्तों की तरह खोखली जिद पर अड़े नज़र आते हैं।
केरल में एक मात्र वामपंथी सरकार में भी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामले स्मगलिंग, शोषण, अकूत संपत्ति के दोहन और हिंसा की कहानी चर्चा में ज्यादा हैं।
केरल के वामपंथी युवा पहले संघ और बीजेपी के साथ हिंसक झड़पों में कुख्यात रहे।
अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और केरल सांसद राहुल गांधी के वायनाड कार्यालय में भी तोड़फोड़ कर चुके हैं।
सोवियत रूस और यूक्रेन का युद्ध मानव समाज की तबाही समाजवाद – वामपंथ का ढपोर शंख तथा निरंकुश तानाशाहों की अतिवादिता का सबब बन चुका है।
क्या कारण है – यूनियन आफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिकस का छोटा हिस्सा रहा – यूक्रेन को अब बड़ा कामरेड सोवियत रूस बरबाद करने पर आमादा है।
सीपीआई -एमएल पोलित ब्युरो और सेंट्रल कमेटी की मेंम्बर सुश्री कविता कृष्णन ने रूस – यूक्रेन युद्ध से खिन्न होकर अपने पार्टी पद से इस्तीफा दे दिया।
कविता कृष्णन ने सोशल मीडिया में कहा – स्टालिन, रूस और चीन में ढहते समाजवाद पर बहस करने से बेहतर है कि इन देशों के तानाशाहों पर ज्यादा चर्चा हो।
संसदीय लोकतंत्र रूस और चीन की निरंकुश तानाशाही से कहीं बेहतर है।
तीन दशक तक सुश्रीकविता कृष्णन जनवादी आंदोलनों में बड़ा वामपंथी महिला चेहरा रही हैं।
अब वामपंथी भ्रमजाल से उबरी महिला नेत्री सामान्य सदस्य रहना चाहती हैं। लेकिन सीपीआई -एमएल सेंट्रल कमेटी ने उन्हें बाहर करने का आदेश पारित किया है।
— भूपत सिंह बिष्ट