सुप्रीम कोर्ट ने पूछ लिया चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का तरीका !
चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह साल पूरा क्यूँ नहीं हो पा रहा ! कम समय के आयुक्त
चुनाव प्रक्रिया में सुधार कहां से लायेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बैंच के आगे चुनाव आयोग के निष्पक्ष कामकाज का मामला चल रहा है।
चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर कई याचिकाओं में सवाल उठाये गए हैं।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सलाह दी है – चुनाव आयुक्त का चयन उच्च स्तरीय समिति करें,
जिस में प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष को भी शामिल न किया जाये।
बैंच का मानना है कि कोई भी समिति एक साल की गोपनीय रिपोर्ट पर चुनाव आयुक्त
की निष्पक्षता की गारंटी नहीं ले सकती है।
प्रशांत भूषण ने कोर्ट में तकरीर पेश की – सरकार ने आनन – फानन में दो दिन
के भीतर चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कर दी।
सरकार के एक सेक्रेटरी ने शुक्रवार को रिटायरमेंट लिया और सरकार ने शनिवार को
उसे चुनाव आयुक्त घोषित कर दिया।
सोमवार को नए चुनाव आयुक्त ने पदभार संभाल लिया – जबकि सुप्रीम कोर्ट की बड़ी
बैंच जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवायी में चुनाव आयुक्तों की निष्पक्षता पर सुनवायी कर रही है।
जस्टिस केएम जोसेफ ने सरकार से नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की फाइल तलब कर ली है।
जस्टिस जोसेफ और बैंच के अन्य जस्टिस ने स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चुनाव आयोग को
निष्पक्ष चुनाव प्रणाली की गारंटी देनी है।
सरकार से आशंकित आयुक्त अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकते हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त एक संवैधानिक संस्था हैं और प्रधानमंत्री से भी जवाब – तलब कर सकते हैं।
2004 के बाद सरकार ने ऐसे चुनाव आयुक्त बनाये, जो कभी अपना 6 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये।
ऐसा लगता है – कोई भी सरकार मुख्य चुनाव आयुक्त को 6 साल तक पद पर नहीं रखना चाहती है।
पिछले 18 सालों में देश ने 14 चुनाव आयुक्त का कार्यकाल देख लिया। यूपीए के कार्यकाल में 6 और
2015 से 2022 तक 8 चुनाव आयुक्त बनाये गए।
ऐसा लगता है – चुनाव सुधार और लोकतंत्र के नाम पर जुबानी जमा – खर्च जारी है।
अन्यथा संविधान ने चुनाव आयुक्त के लिए 6 साल का कार्यकाल या 65 साल की आयु तय की है।
कई चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल कुछ महीनों से लेकर दो वर्ष से भी कम रहा है।
ये संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग की मजबूती और निष्पक्षता के लिए शुभ नहीं है।
भारत को विश्व में लोकतंत्र की मजबूती के लिए आदर्श होना है।
सरकारी वकीलों का कहना था – मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार
पर होती है सो अलग से व्यवस्था बनाने की आवश्यकता नहीं है।
देश में चुनाव यथा समय हो रहे हैं सो चुनाव आयोग सही काम कर रहा है।
पदचिह्न टाइम्स।