अंकिता भंडारी हत्याकांड की गूँज उत्तराखंड विधानसभा में !
8 माह में 139 हत्या, 554 बलात्कार और 269 महिलाओं का अपहरण से उत्तराखंड शर्मसार - यशपाल आर्य, नेता विपक्ष।
अंकिता भंडारी हत्याकांड की गूँज उत्तराखंड विधानसभा में !
8 माह में 139 हत्या, 554 बलात्कार और 269 महिलाओं का अपहरण से उत्तराखंड शर्मसार – यशपाल आर्य, नेता विपक्ष।
उत्तराखंड विधानसभा में आज 19 वर्षीय अंकिता भंडारी जघन्य हत्याकांड मुख्य मुद्दा रहा।
शीतकालीन सत्र में उत्तराखंड की ढुलमुल पुलिस ने सत्ता पक्ष को बैकफुट पर रखा।
नियम 58 के तहद प्रदेश की कानून व्यवस्था पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने बीजेपी सरकार पर कड़े प्रहार किए।
कांग्रेस नेता यशपाल आर्य ने कहा – पिछले 8 माह में उत्तराखंड में 139 हत्या, 554 बलात्कार और 269 महिला अपहरण अपराध साबित करते हैं कि प्रदेश में अपराधी बेखौफ हैं।
उधम सिंह नगर में अपराध और नशे का कारोबार निरंतर फल फूल रहा है।
पुलिसकर्मी की पत्नी की हत्या और दलितों – वंचितों पर बढ़ते अपराध प्रदेश को गलत दिशा में ले जा रहे हैं।
हमारी शुरू से मांग थी – अंकिता भंडारी हत्या की जांच हाइकोर्ट जज की देखरेख में सीबीआई से करायी जाए।
आज अंकिता के माता – पिता और लोग सीबीआई जांच के लिए प्रदर्शन पर बैठे हैं।
रसूख वाले असली गुनहगार खुली हवा में सांस ले रहे हैं।
रिसोर्टस कल्चर ने दिव्य प्रदेश को बदनाम कर दिया है।
पुलिस की मिलीभगत से पर्दे के पीछे का चेहरा अभी तक सामने नहीं आ पाया है।
लगता है – खनन, शराब और ड्रग माफिया ने अपना कब्जा ऊपर तक फैला रखा है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रीतम चौहान ने अंकिता भंडारी हत्याकांड की जांच समय रहते सीबीआई को सौंपने की मांग की।
19 वर्षीय अंकिता भंडारी की रक्षा में असफल बेटी बचाओ का नारा खोखला है। अंकिता अपने मां – बाप का आर्थिक सहारा बनने आयी थी।
18- 19 सितंबर को अंकिता भंडारी रिसोर्टस से गायब होती है। राजस्व पुलिस मिली भगत से गुमशुदा रिपोर्ट दर्ज करती है।
23 सितंबर को लक्षमणझूला थाने में एफआईआर दर्ज की जाती है और 24 सितंबर को चीला नहर से अंकिता का शव बरामद होता है।
23 सितंबर को अंकिता के कमरे पर बुलडोजर चलाकर साक्ष्य मिटाये जाते हैं।
सीएम और पौड़ी के डीएम बुलडोजर कार्यवाही पर विरोधाभासी बयान देते हैं।
सरकार उत्तराखंड को अपराध मुक्त बनाना चाहती है तो वीवीआईपी का नाम छुपा क्यूँ रही है ?
ऋषिकेश में अंकिता हत्याकांड की सीबीआई जांच के लिए लोग धरना, प्रदर्शन और आमरण अनशन पर बैठे हैं।
उत्तराखंड में अपराध रोकने के लिए हाइकोर्ट जज की देखरेख में सरकार सीबीआई जांच कराये।
पदचिह्न टाइम्स।