जोशीमठ आपदा पर सुनवायी से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार !
राष्ट्रीय आपदा व अन्य राहत घोषित कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करें।
जोशीमठ में व्यवसायिक और उद्यौगिक गतिविधियों के फलस्वरूप उभरी आपदा पर आज सुप्रीम कोर्ट ने
हस्तक्षेप करने से इन्कार किया।
अब उत्तराखंड हाईकोर्ट मामले में अन्य याचिकाओं का भी संज्ञान ले सकता है।
याचिका में जोशीमठ में भूमि धंसाव और दरकते मकानों पर रिलीफ और पुनर्वास की मांग उठायी गई।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा – उत्तराखंड हाईकोर्ट पहले ही 12 जनवरी को मामले की
सुनवायी कर प्रदेश सरकार को विस्तृत आदेश जारी कर चुका है सो दो अलग कोर्ट में मामले की सुनवायी उचित नहीं है।
हाईकोर्ट ने जोशीमठ में अब निर्माण कार्यों पर पिछले आदेश में रोक लगायी है।
सुप्रीम कोर्ट में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी ने जोशीमठ आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषत करने हेतु याचिका लगायी थी।
उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया – सरकार सभी संभव कदम उठाकर जान माल की रक्षा कर रही है।
याचिका में एनटीपीसी परियोजना को जोशीमठ आपदा के लिए कारक मानते हुए राहत और भरपायी
की मांग भी उठायी गई थी।
श्री बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहब और धार्मिक नगरी जोशीमठ में विद्युत और औद्योगिक परियोजना पर
रोक लगाने की मांग को भी सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में ले जाने का सुझाव दिया है।
आपदा सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने अपनी प्रेस वार्ता में बताया – जोशीमठ में अब पानी का रिसाव में कटौती हुई है।
पानी का रिसाव 163 एलपीएम तक कम हुआ है।
अभी तक 800 लोगो को सुरक्षित शिफ्ट किया जा चुका है।
190 परिवारों को 1.50 लाख रु मुआवजा दिया जा चुका है।
जमीन के अंदर पानी के रिसाव का पता लगाने के लिए नैशनल एजैंसियां जुटी हैं।
भवनों में दरारें आने की संख्या में अभी बढ़ोतरी होना संभव है।
जोशीमठ – औली रोपवे पर नजर रखने के लिए एक इंजीनियर नियुक्त किया गया है।
जेपी कंपनी के कई भवनों में दरारें आ चुकी है, जिसको लेकर जिला अधिकारी कंपनी प्रबंधन से वार्ता करेंगे।
कई जगहो पर क्रेको मीटर लगाए गए है, जो दरारों के पैटर्न पर अध्ययन में सहायक रहेंगे।
पदचिह्न टाइम्स।