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श्रद्धाँजली : कौशल्या बहन जी – एक लोकप्रिय शिक्षाविद का अवसान !

आजादी के बाद समाज में शिक्षा का प्रसार करने में तमाम चुनौतियों के साथ पहली पंक्ति में शामिल रही।

श्रद्धाँजली : कौशल्या बहन जी – एक शिक्षाविद का अवसान !

आजादी के बाद समाज में शिक्षा का प्रसार करने में तमाम चुनौतियों के साथ पहली पंक्ति में शामिल रही।

ALKA HANDA WITH KAUSHLAYA BAKSHI

 

चंबा, हिमाचल प्रदेश की लोकप्रिय शिक्षिका कौशल्या बहन जी का 83 वर्ष की आयु में इंतकाल हो गया है।

आजादी के बाद शिक्षा का अलख जगाने वाली श्रीमती कौशल्या बख्शी देश में महिला सशक्तिकरण की पहचान रही हैं।

23 जनवरी 1940 को श्रीमती मूर्त देवी एवं गुरदयाल सिंह पुरी की दूसरी संतान के रूप में कुशाग्र बुद्धि कौशल्या ने जन्म लिया।

दो भाई और चार बहनों ने अपने कोर्ट मुंशी पिता के सानिध्य में शिक्षा से प्रगाढ़ संबंध जोड़ा।

माँ सरस्वती के आशीर्वाद से कौशल्या बख्शी की तीन पीढ़ियां विद्यालय शिक्षा में सक्रिय रही हैं।

आकर्षक व्यक्तित्व की धनी कौशल्या बख्शी से दीक्षित एक पूरी पीढ़ी समाज में उच्च सेवायें देकर रिटायर भी कर चुकी हैं।

KAUSHALAYA DEVI NEAR BHOOT NATH TEMPLE MANDI

कौशल्या बहन जी के नाम से ख्याति प्राप्त शिक्षिका अनुशासन व स्नेह के लिए हमेशा छात्र – छात्राओं के दिल में बसी हैं।
लड़कियों की शिक्षा के उस मुश्किल दौर में आठवीं शिक्षा पासकर कौशल्या जी ने शिक्षक बनने की चुनौती स्वीकार की।

ब्लाक एजुकेशन आफिसर पद से 1998 में रिटायर हुई श्रीमती कौशल्या बख्शी अपनी अनुपम छवि और

अंदाज के लिए समाज के हर वर्ग में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं।

उन के पढ़ाये हुए विद्यार्थी समाज के हर क्षेत्र में सफल हुए हैं और उनकी कुशाग्र बुद्धि के कायल रहे हैं।

स्वर्गीय श्रीमती कौशल्या बख्शी अपने पीछे भरा पूरा नाती – पोते, विवाहित दो बेटियां और दो बेटों का

उच्च शिक्षित शिक्षा, स्वास्थ्य, राजकीय सेवा में अधिकारी व समाजसेवी परिवार छोड़ गई हैं।

बेटी अलकनंदा हांडा मंडी शहर में लोकप्रिय एडवोकेट, तीन बार से निरंतर पार्षद और कांग्रेस नेत्री हैं।

 

अलका हांडा ने बताया – माँ, हमेशा शिक्षा प्रसार में समर्पित रही।

उन्हें हर विषय में बात करना और यात्रा करना भाता था।

 


महाभारत और रामायण से विशेषकर अध्यात्म व धार्मिक कहानियों का दुर्लभ भंडार समेटे हुए थी।

बच्चों को प्रतिभा संपन्न बनाने के लिए उन में अंत तक शिक्षक भाव सक्रिय रहा है।

 

 

कुछ दिनों से बीमार चल रही श्रीमती कौशल्या बख्शी ने अपनी अंतिम सांस मंडी के अस्पताल में ली।

कौशल्या बहन जी का अंतिम संस्कार उन की इच्छानुसार सनातन रीति रिवाज से चंबा में हुआ – जहां

बड़ी संख्या में इष्ट मित्र, प्रशंसक और परिजनों ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
– भूपत सिंह बिष्ट

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