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अरूणाचल में शिक्षा के दीप जगाती बहुमुखी प्रतिभा नीमा डिंगला !

एक श्रेष्ठ माँ - टीचर नीमा खेल खेल में पढ़ाती, नाच गान सिखाती, अपनी दृष्टिबाधित माँ का आर्थिक संबल ।

अरूणाचल में शिक्षा के दीप जगाती बहुमुखी प्रतिभा नीमा डिंगला !
एक श्रेष्ठ माँ – टीचर नीमा खेल खेल में पढ़ाती, नाच गान सिखाती, अपनी दृष्टिबाधित माँ का आर्थिक संबल ।

विनम्र श्रद्धांजलि !

ऐसा लगता है – पिछले कल की बात है।
गोहाटी अपोलो हास्पीटल में उस ने आखिरी सांस ली.. परदेश में बेटे, बहिन और

परिजनों के साथ कोरोना काल में  कितनी परेशानी उठानी पड़ी होगी।
अब वो हमारी दुनिया छोड़कर चली गई — उस पीड़ा से मुक्त हो गई , जो तिल तिल,

पल पल और बार बार मृत्यु की दस्तक का आभास दे रही थी।

फिर भी वो नन्हीं सी जान अपनी सभी परिक्षाओं में सफल होकर गई है।
बेटे का जीवन बचाने के लिए अपनी किडनी अंग दान करने वाली माँ नीमा,

अग्नि परीक्षा देकर भी वो हमेशा हंसती .. खिलखिलाती रही।

 

चालीस साल का इतिहास – छोटे बच्चों पर प्यार लुटाती, नई पौध को स्कूली शिक्षा के लिए

तैयार करती टीचर नीमा मैम, खेल खेल में पढ़ाती, नाच गान सिखाती, अपनी दृष्टिबाधित माँ का

आर्थिक संबल, मित्र , परिवार व संसार की देखभाल में सदैव जोश , उत्साह से लबरेज, नाराजगी

और गुस्से को जीत चुकी नीमा मैम अब इस दुनिया में नहीं रही – सुनकर ही

एक खालीपन घर कर रहा है।

इस दुनिया में सबका आना व जाना तो अकेले ही तय है – फिर भी एक स्नेह भरी आत्मा

का सहसा चले जाना गहरी निराशा भरा है।

दो साल पहले देखा तो विश्वास नहीं हुआ – हमेशा हंसने खिलखिलाने वाली नीमा मैम,

अब एक जानलेवा बीमारी से लड़ रही है।
बेटे को दी एक किडनी के बाद नीमा की तबीयत बिगड़नी शुरू हुई और बार -बार

उसे इलाज के लिए अपोलो चैन्नई जाना पड़ रहा था।

बातचीत में वही आत्मविश्वास बरकरार रहा – बस थोड़ा दर्द है, सर!

खाना पीना छूट रहा है बाकि सब ठीक है।

वो तमाम पीड़ा के बाद भी 35 साल बाद गर्मजोशी से मिलने आयी थी।
बीमारी ने सिर के बाल कम कर दिए थे और उम्र को सालों -साल

चेहरे पर बढ़ा दिया।
कभी छोटी गुड़िया सी नन्हीं प्राइमरी टीचर नीमा मैम हमेशा

छोटे बच्चों के बीच चहकती दिखती थी।


अरूणाचल के पूर्वी कामेंग जिले की बहुमुखी लोकप्रिय शिक्षिका अब

धीरे – धीरे खामोशी और चुप्पी ओढ़ रही थी।
हमेशा की तरह मेरे परिवार के लिए उपहार देकर तब नीमा मैम ने हंसकर

विदा दी – अच्छा किया, सर ! अब मैडम और बच्चों को भी लेकर आना,

पता नहीं फिर मुलाकात हो न हो !
वो हंसी बिखेरता विदाई का चेहरा बार – बार दिमाग में घूम रहा है।
बच्चों के व्हाटस ऐप पर दनादन मैसेज आ रहे हैं – वैरी सेड न्यूज..सर.

नीमा मैडम जी नो मोर !
ओम मणि पद्मे हूँ ..ओम मणि पद्मे हूँ…ओम मणि पद्मे हूँ !!!
— भूपत सिंह बिष्ट

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