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उत्तराखंड की राजनीति में उबाल – भू कानून और मूल निवास 1950 !

2024 लोकसभा चुनाव से पहले पहाड़ की राजनीति में एक बार फिर लोक भावनाओं की दस्तक। 

उत्तराखंड की राजनीति में उबाल – भू कानून और मूल निवास 1950 !

2024 लोकसभा चुनाव से पहले पहाड़ की राजनीति में एक बार फिर लोक भावनाओं की दस्तक। 

उत्तराखंड की राजनीति में सहसा फिर लोक भावनाओं से जुड़ा भू कानून और 

मूल निवास की कट ऑफ़ डेट वर्ष -1950 तय करने की मांग जोर पकड़ गई। 

आज एक स्वता स्फूर्त प्रदर्शन में उत्तराखंड के हज़ारों लोगों ने देहरादून में शिरकत की। 

लोक गायक और गीतकार नरेंद्र सिंह नेगी ने गरुड़ गंगा, चमोली से पदयात्रा का श्री गणेश किया। 

देहरादून में में उत्तराखंड के सभी जनपदों से उत्तराखंडी मूल के युवा , महिला और बुजर्गों 

ने सरकार को आगाह किया कि लम्बे समय तक उत्तराखंड को भू माफिया और बाहरी लोगों की सैरगाह 

के रूप में खाली नहीं छोड़ा जा सकता है। 

उत्तराखंडियों को आभास हो रहा है – राज्य बनने के बाद अचानक से उत्तराखंड में बाहरी लोगों 

की हिस्सेदारी जमीन, नौकरी और राजनीति में बढ़ चुकी है। 

पिछली चार विधानसभा में सब कानून बाहरी लोगों के लिए बनाये गए हैं और मूल निवासी 

जिनके नाम पर राज्य बना – अब  ठगा सा महसूस करते हैं। 

धामी सरकार को उत्तराखंड की जमीन , जंगल , नदी और संसाधन मूल निवासियों के हित में 

बनाने के लिए कड़े कानून बनाने होंगे – अन्यथा लोकल और बाहरी का संघर्ष राजनीति में 

नए आयाम खड़ा करने वाला साबित होगा। 

https://padchihnatimes.com/uttarakhand-needs-himachal-land-act/

पदचिह्न टाइम्स। 

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