श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत टपकने की हकीकत !
प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात लगभग एक लाख पन्द्रह हज़ार भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप दर्शन कर रहे हैं ।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत टपकने की हकीकत !
प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात लगभग एक लाख पन्द्रह हज़ार भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप दर्शन कर रहे हैं ।
— चम्पत राय, महामन्त्री श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ।
उत्तर भारत में (लोहा उपयोग किए बिना ) केवल पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य
( उत्तर भारतीय नागर शैली में ) प्रथम बार हो रहा है — देश विदेश में केवल स्वामी नारायण
परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं ।
भगवान के विग्रह की स्थापना, दर्शन पूजन और निर्माण कार्य केवल
पत्थरों के मंदिर में संभव है।
प्राण प्रतिष्ठा दिन के पश्चात लगभग एक लाख से एक लाख पन्द्रह हज़ार भक्त प्रतिदिन
रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं। प्रातः 6.30 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक
दर्शन के लिए समय निर्धारित है।
किसी भी भक्त को अधिक से अधिक एक घण्टा दर्शन के लिए प्रवेश ,
पैदल चलकर दर्शन करना , बाहर निकल कर प्रसाद लेने में लगता है।
मन्दिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है। मोबाइल का प्रयोग दर्शन में बाधक
है और सुरक्षा में घातक हो सकता है।
गर्भगृह जहाँ भगवान रामलला विराजमान है, वहाँ एक भी बूंद पानी छत से नही
टपका है और न ही कही से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है।
गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मंडप है – इसे गूढ़मण्डप कहा जाता है ।
वहाँ मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात ( भूतल से लगभग साठ फीट ऊँचा )
घुम्मट जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी।
इस मंडप का क्षेत्र 35 फीट व्यास का है और फिलहाल जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर
ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं। द्वितीय तल पर तेजी से पिलर निर्माण कार्य चल रहा है।
रंग मंडप एवं गुढ़ मंडप के बीच दोनो तरफ( उत्तर एवं दक्षिण दिशा में) उपरी तलो पर
जाने की सीढि़यां हैं तथा इनकी छत कार्य भी प्रगति पर है।
सामान्यतया पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स का
कार्य पत्थर की छत के ऊपर रहता है और कन्ड्युट को छत मे छेद करके
नीचे उतारा जाता है।
ये कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट
करके स्तह में अभी छुपाईं जानी है।
प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है। इस कारण बारिश में
जंक्शन बॉक्सेज़ में पानी प्रवेश कर गया और वही पानी कंड्यूट के
सहारे भूतल पर गिरा है ।
देखने पर यह प्रतीत हो रहा था की छत से पानी टपक रहा है। जबकि यथार्थ में
पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर आ रहा था।
प्रथम तल की फ्लोरिंग पूर्णतः वाटर टाइट होने के बाद किसी भी जंक्शन से पानी का
प्रवेश नहीं होगा और पानी नीचे तल पर भी नही जाएगा।
मन्दिर एव परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित
प्रबंध किया गया है। अतः मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव
की स्थिति नहीं होगी।
पूरे श्रीराम जन्मभूमि परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर
शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन है।
श्री राम जन्म भूमि परिसर मे बरसात के पानी को अन्दर ही पूर्ण रूप से
रखने के लिये रिचार्ज गढ्ढे बनाये जा रहे हैं।
मन्दिर एवं परकोटा निर्माण कार्य भारत की दो प्रतिष्ठित कम्पनियां एल एंड टी
तथा टाटा के इंजीनियरों एवं अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख में निर्माण
चल रहा है – अतः श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नही है।
पदचिह्न टाइम्स।