राज्यपाल और राष्ट्रपति विधानसभा बिल को कितना रोक सकते हैं !
इलाहाबाद हाई कोर्ट के लिए 26 नाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने प्रस्तावित किये।

राज्यपाल और राष्ट्रपति विधानसभा बिल को कितना रोक सकते हैं !
इलाहाबाद हाई कोर्ट के लिए 26 नाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने प्रस्तावित किये।
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि विधानसभा से पारित बिलों को राज्यपाल और राष्ट्रपति अनंत समय
तक कानून बनने से नहीं रोक सकते हैं।
तमिलनाडू और बंगाल के बिल रोके जाने से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में सुना जा रहा है। पहले दो जजों की
बेंच ने विचार हेतु अधिकतम 3 माह का समय गवर्नर ऑफिस को दिया था।
5 जजों की संविधान पीठ में तीन ने मौखिक राय दी है कि संविधान को बाधित करने का अधिकार किसी भी
संवैधानिक अंग को नहीं है।
राय का मुद्दा यह भी है कि क्या गवर्नर सुपर सीएम की तरह आचरण कर सकते हैं ?
राज्यों की विधायिका के अधिकार और गवर्नर ऑफिस के बीच समन्वय करने के लिए चर्चा जारी है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के लिए 26 नाम सरकार को सुझा दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के लिए जजों की क्षमता 160 है।
अभी 84 जज ही कार्यरत हैं और 76 पद रिक्त हैं।
26 प्रस्तावित नामों में सुप्रीम कोर्ट की 2 महिला वकील 12 वकीलों के समूह में शामिल बताई
गई हैं। 14 जुडिशियल आधिकारियों को प्रमोट किया जा रहा है।
अभी महाराष्ट्र हाई कोर्ट में 94 जजों की क्षमता में 68 काम कर रहें हैं और 26 पद खाली हैं।
कलकत्ता हाई कोर्ट में जजों की क्षमता 72 तथा 48 काम कर रहें हैं और 24 पद खाली हैं।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में जजों की नियुक्तियां भरी जानी हैं।
पदचिह्न टाइम्स।