जिम कार्बेट पार्क ढिकाला में पग मार्क से टाइगर के दीदार तक !
धनगढ़ी गेट से 34 किमी दूर ढिकाला रेंज तक फैली है वन्य जीवन की नैसर्गिक सुंदरता।
जिम कार्बेट पार्क ढिकाला में पग मार्क से टाइगर के दीदार तक !
धनगढ़ी गेट से 34 किमी दूर ढिकाला रेंज तक फैली है वन्य जीवन की नैसर्गिक सुंदरता।
भारत में प्रोजेक्ट टाइगर की प्रमुख सेंक्चुरी 1973 में स्थापित जिम कार्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड राज्य की शान है।
हर साल 15 नवंबर से 15 जून तक पार्क वन्य प्राणियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए खुलता है।
कार्बेट पार्क में प्रवेश के लिए आनलाइन बुकिंग की व्यवस्था है और इस में कुछ समस्यायें भी रहती हैं।
पार्क में प्रवेश का परमिट रामनगर से जारी होता है। यहीं सफारी के लिए जिप्सी बुक भी करानी होती है।
जिप्सी का किराया कार्बेट पार्क प्रबंधन ने ढिकाला हेतु छह हजार तय किया है।
जिप्सी में छह पर्यटक बैठ सकते हैं और किराये में रामनगर से ढिकाला तक आना – जाना,
दो जंगल सफारी शाम और सुबह शामिल हैं।
ढिकाला वन विश्राम गृह में एक रात में लगभग 80 पर्यटक रूक सकते हैं।
औसतन किराया एक कक्ष का चार हजार के आसपास है।
साफ सुथरे वन विश्रामगृह में खाने की सरकारी व्यवस्था कुमायूं मंडल विकास निगम की ओर से
स्वादिष्ट शाकाहारी भोज की जाती है।
एक प्राइवेट कैंटीन भी ढिकाला परिसर में है। अन्य वन विश्राम गृह में खाना पकाने की व्यवस्था करनी पड़ सकती है।
कार्बेट टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में अंग्रेजों ने पुराना विश्रामगृह सन 1889 में निर्मित कराया।
इस में दो कक्ष नीचे और दो ऊपर की मंजिल में हैं। कभी नीचे के कक्ष डीएफओ का आफिस रहा है और ऊपर फोरेस्ट आफिसर का निवास था।
अब ये कक्ष पर्यटकों को रहने के लिए उपलब्ध हैं।
ढिकाला वन विश्राम गृह का विशाल परिसर साफ सुथरा सुरक्षित है।
कार्बेट पार्क का क्षेत्रफल 1288 वर्ग किमी से ज्यादा है और इस की सबसे लोकप्रिय रेंज ढिकाला मानी जाती है।
जिम कार्बेट पार्क ढिकाला रेंज में बाघ दर्शन की ज्यादा संभावना है।
इस के अलावा जंगली हाथी, घड़ियाल, जंगली सूअर, हिरनों की तमाम प्रजातियां, देश में पायी जाने वाली
25 प्रतिशत पक्षियों की प्रजातियां, साल के घने जंगल, घास के मैदान, राम गंगा नदी और किनारे मिश्रित वन
और गढ़वाल की सुंदर पर्वत माला सब का मनमोह लेती हैं।
कार्बेट पार्क का क्षेत्र नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल से लेकर देहरादून के राजा जी नैशनल पार्क से जुड़ा है।
इस नाते उत्तर भारत में टाइगर और हाथियों का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक यहीं है।
क्रमश: एक
— भूपत सिंह बिष्ट