भगवान बुद्ध – दीक्षा : अरूणाचल में आधुनिक केंद्र बोमडिला, धीरांग व त्वाँग नगर !
दिल्ली- गोहाटी डेढ़ घंटे का हवाई सफर, गोहाटी से पांच घंटे की दूरी पर हिमालय की शीतलता का शानदार आनंद।
अतुल्य अरुणाचल प्रदेश !
अरूणाचल में भगवान बुद्ध दीक्षा के आधुनिक केंद्र बोमडिला, धीरांग व त्वाँग नगर !
दिल्ली- गोहाटी डेढ़ घंटे का हवाई सफर, गोहाटी से पांच घंटे की दूरी पर हिमालय की शीतलता का शानदार आनंद।
भगवान बुद्ध की छवि हर रोज हम अपने आसपास देखते हैं। भगवान बुद्ध की दीक्षा और जीवन शैली को सीखने के अवसर उत्तर भारत में ज्यादा नही हैं।
देश की उत्तर दिशा में हिमालय पर्वतमाला जम्मू – कश्मीर से अरूणाचल प्रदेश तक रक्षा ढाल बनकर फैला है।
हिमालय के दूसरी तरफ तिब्बत पर 1960 में चीन ने अपना कब्जा किया है। फिर 1962 में चीन ने भारत की लद्दाख व अरूणाचल सीमाओं पर भी आक्रमण किए और अपनी हिंसक व विस्तारवादी प्रवृत्ति का परिचय दुनिया में कराया।
देश के इन हिमालयी राज्यों में भगवान बुद्ध की शिक्षा – दीक्षा का विस्तार उस पार तिब्बत व नेपाल तक सदियों से गहराई तक फैला हुआ है।
आज यही बौद्ध संस्कृति देशकी रक्षा में बहुपयोगी कवच बना हुआ है। बौद्ध धर्म की शिक्षा को घर – घर आलोकित रखने का काम बौद्ध भिक्षु करते हैं।
इनका पूजा स्थल व निवास ” गौम्पा ” कहलाता है, जहाँ बुद्ध की विशाल प्रतिमा के साथ अपने गुरूजन ” रिम्पोछे” की चित्रकथा भी उकेरी जाती है।
अरूणाचल के कामेंग सेक्टर में त्वाँग लामा संघ और गौम्पा चार सौ साल से अधिक पुराना है। यहाँ महिलायें भी “अनेई गौम्पा” में बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर रहती हैं।
प्रेम, शाँति और अहिंसा का संदेश फैलाती कामेंग और त्वाँग जनपदों की शर्दूकपेन व मोंपा जनजातियां अपने रीति – रिवाजों के साथ आधुनिक भारत की सांस्कृतिक विरासत में चार चाँद लगाये हुए हैं।
रूपा में चिलीपम, बोमडिला, धिरांग और त्वाँग के बौद्ध मठ गौम्पा आज आधुनिक और पुरातन परंपराओं को सजीव करते हैं।
धार्मिक आस्था और टूरिस्टों के लिए प्राकृतिक सुंदरता के साथ य बौद्ध विहार बड़े आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं।
दिल्ली गोहाटी के बीच डेढ़ घंटे का हवाई सफर है। गोहाटी से पांच घंटे के सड़क मार्ग से इन टूरिस्ट स्थलों पर गर्मियों में हिमालय की शीतलता का आनंद सुलभ है।
चित्र व आलेख – भूपत सिंह बिष्ट