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उत्तराखंड के बदरी – केदार धाम के कपाट बंद करने का मुहूर्त्त विधि विधान से तय हुआ !

केदारनाथ 27 अक्टूबर, बदरी नाथ  कपाट 19 नवम्बर को और गंगोत्री व यमुनोत्री धाम भैया दूज पर्व पर बंद होने हैं।

उत्तराखंड के बदरी – केदार धाम के कपाट बंद करने का मुहूर्त्त विधि विधान से तय हुआ !

केदारनाथ 27 अक्टूबर, बदरी नाथ  कपाट 19 नवम्बर को और गंगोत्री व यमुनोत्री धाम भैया दूज पर्व पर बंद होने हैं।

– दिनेश शास्त्री सेमवाल

उत्तराखंड के पावन तीर्थों के शीतकाल के लिए कपाट बंद होने की तिथियां बुधवार को विजयादशमी के पर्व पर घोषित हो गई।

पारंपरिक रूप से विजयादशमी के दिन पंचांग पूजा के साथ कपाट बंदी के मुहूर्त तय किए गए।

भू वैकुंठ धाम बदरी विशाल धाम के कपाट शनिवार 19 नवंबर 2022 को अपराह्न 3 बजकर 35 मिनट शीतकाल हेतु बंद होंगे।

मान्यता है कि छह माह मानव और छह माह देवतागण भगवान बदरी विशाल की पूजा करते हैं।

उसी परंपरा के अनुपालन में बदरी धाम के कपाट बंद करने का मुहूर्त आज विधि विधान के साथ निर्धारित किया गया।

गौरतलब है कि बदरीनाथ धाम के कपाट बंद करने के संबंध में एक परंपरा यह भी है कि यहां मार्गशीर्ष माह की एक पूजा अनिवार्य है।

मार्गशीर्ष माह 15 नवम्बर से शुरू होगा, किंतु तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण तथा पंचक का ध्यान रख कर कपाट बंद करने का शुभ मुहूर्त निर्धारित किया जाता है।

इसी तरह केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज के दिन शीतकाल के लिए बंद करने की परंपरा है।

विजयादशमी पर केदारनाथ धाम का मुहूर्त भी निर्धारित किया गया।

श्री केदारनाथ धाम के कपाट 27 अक्टूबर को सुबह आठ बजे तुला लग्न में शीतकाल की लिए बंद कर दिए जायेंगे।

ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में आज यह मुहूर्त निर्धारित हुआ।

भैया दूज पर भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली को केदारनाथ धाम से शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ लाया जायेगा।

28 अक्टूबर को पूर्व निर्धारित रात्रि पड़ावों पर विश्राम के बाद 29 अक्टूबर को बाबा केदार की डोली को ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित किया जायेगा।

अगले छह माह तक यहीं पर भगवान केदारनाथ की पूजा की जायेगी।

इसी तरह द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम के कपाट 18 नवम्बर को सुबह आठ बजे वृश्चिक लग्न में बंद होंगे।

TUNGNATH TRITAYA KEDARNATH
PIC – BHUPAT SINGH BIST

जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट आठ नवम्बर को बंद होंगे।

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने और खुलने का दिन आदि काल से निर्धारित है।

अक्षय तृतीया पर दोनों धामों के कपाट खुलते हैं और भैया दूज पर बंद करने का विधान है।

  • पदचिह्न टाइम्स।

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