हिमाचल की मनमोहक बरोट घाटी को ट्रोट फिश का वरदान !
अंग्रेजों की खोज बरोट घाटी युवा छात्रों और इंजीनियरों के लिए विकसित भारत का नमूना।
हिमाचल की मनमोहक बरोट घाटी को ट्रोट फिश का वरदान !
अंग्रेजों की खोज बरोट घाटी युवा छात्रों और इंजीनियरों के लिए विकसित भारत का नमूना।
मंडी के टूरिस्ट नक्शे में जोगिंद्र नगर का खास मुकाम है। 1925 में बसा जोगिंद्र नगर अपनी
पठानकोट रेलवे लाइन के लिए विख्यात है। 163 किमी लंबी सबसे छोटे आकार की रेलवे लाइन मंडी
जिले की शान में अंग्रेजों ने 1929 में बनायी ताकि जलविद्युत परियोजना का निर्माण कर दिल्ली, पंजाब और
लाहौर तक निर्बाध बिजली सप्लाई की जा सके।
बरोट घाटी के लिए घटासनी मुख्य प्रवेश द्वार है। घटासनी अपने स्वादु भोजन धाम के लिए भी
पर्यटकों के बीच मशहूर है। यहां से बरोट की दूरी 25 किमी है।
घटासनी की दूरी जोगिंद्र नगर से 15 किमी और मंडी से 40 किमी बैठती है।
यहां से टूरिस्ट एक नई दुनिया की सैर का अनुभव करते हैं। वैसे यह रास्ता बरोट से आगे कांगड़ा की
धौलाधार बर्फीले शिखर की ओर बढ़ता है।
बरोट या बड़ौत बसाने का श्रेय भी अंग्रेजों को जाता है। धौलाधार हिमालय श्रृंखला के धमसर ग्लेशियर से
निकलने वाली उहल नदी अब तक अरबों – खरबों का राजस्व विद्युत उत्पादन, टूरिज्म और ट्रोट फिश के व्य
वसाय में कमाकर दे चुकी है और इसका आर्थिक योगदान अभी निरंतर जारी है।
हिमाचल सरकार ने बरोट में ट्रोट फिश उत्पादन केंद्र बनाया है। ट्रोट फिश का बाजार भाव
छह सौ से हजार रूपये प्रति किलो है। ट्रोट फिश का बीज बहते ठंडे जल में एक माह में
नन्ही मच्छली का आकार लेता है। एक ट्रोट फिश को पूर्ण विकसित होने में लगभग डेढ़ साल का
समय लगता है और यह 300 ग्राम तक वजन ले लेती है।
एक ट्रोट फिश को बेक कर बेचने में रेस्ट्रां कम से कम पांच सौ रूपये चार्ज करतें हैं।
कहा जाता है कि अंग्रेज ही ट्रोट फिश को भारत में लाये हैं।
पानी की निरंतर जलधारा पाने के लिए ट्रोट फिश का उत्पादन छोटी नदियों के किनारे
किया जाता है। इस नाते उहल नदी का बर्फीला जल अति उत्तम है। हिमाचल मत्सय विभाग
स्थानीय लोगों को ट्रोट फिश उत्पादन में तकनीक और सहयोग प्रदान करता है।
ट्रोट फिश की प्रोटीन हमारी मासपेशियां, हड्डी – दांत, लाल रक्त कोशिकाओं, स्वस्थ हृदय,
सुंदर काया और छूत की बीमारी रोकने में सहायक पायी गयी हैं।
ट्रोट फिश में न्यूनतम वसा और ओमेगा – 3 आयल की भरमार है। विभिन्न आवश्यक विटामिन
और मिनरल से भरपूर ट्रोट फिश का उत्पादन हिमाचल सरकार बरोट के अलावा चंबा, शिमला
और कुल्लू मनाली में भी कर रही है।
बरोट में इंजीनियरिंग कौशल से बना जोगिंद्र नगर शानन जलविद्युत परियोजना का
सौ साल पुराना बैराज है और बरोट से सुरंग बनाकर उहल नदी का जल तेज प्रवाह हेतु
बंद स्टील पाइप – पेन स्ट्रोक विधि से शानन पावर हाउस में उतारा जाता है।
1975 से पहले यहां सड़क नहीं थी तो शानन पावर प्रोजेक्ट के कर्मचारी विश्व की सबसे
अदभुत रेल ट्राली से जीरों प्वांइट बरोट पहुंचते थे। इस का श्रेय पंजाब के
चीफ इंजीनियर कर्नल बीसी बैटी को जाता है। अब यह कुछ किमी तक ही चलती है।
बरोट में ट्रोट फिशिंग के अलावा पिकनिक, ट्रेकिंग और कैंपिंग उपलब्ध हैं।
बरोट से आगे पर्यटक छोटा बंगार, बड़ा बंगार कांगड़ा जनपद की धौलाधार
हिमालयी श्रृंखला की ओर बढ़ सकते हैं।
– भूपत सिंह बिष्ट, स्वतंत्र पत्रकार।