पांच राज्य और लोकसभा 2024 चुनाव के बीच बिहार जातिगत आंकड़े जारी !
13.7 करोड़ की आबादी में 63 फीसदी ओबीसी, ढाई करोड़ एससी, सामान्य दो करोड़ तीन लाख।
इंडिया ग्रुप से जुड़ी बिहार सरकार ने देश की राजनीति में नई जातिगत बिसात
सजा दी है।
इंडिया ग्रुप की मांग है – अब बाकि प्रांतों में भी जाति जनगणना के आंकड़े जारी किए जायें।
उल्लेखनीय है – राजस्थान , मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ , मिजोरम और
तेलंगना में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
मांग उठने लगी है कि जाति आबादी के अनुसार सरकारी योजनाओं में तीव्र विकास
हेतु भागीदारी सुनिश्चित की जाये।
बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने अब देश की राजनीतिक सोच पिछड़े वर्ग – अति पिछड़े वर्ग,
अनुसूचित जाति, जन जाति और अगड़े समाज की ओर केंद्रित करने की ठान ली है।
बिहार के जाति गत आंकड़े बता रहे हैं कि कुल जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख है।
लगभग 82 फीसदी हिंदू, 17 फीसदी से ज्यादा मुस्लमान, बाकि एक प्रतिशत से कम
बौद्ध, ईसाई और सिख हैं।
अति पिछड़ों की संख्या 4.71 करोड़ यानि 36 फीसदी,
पिछड़ों की संख्या 3.55 करोड़ यानि 27 फीसदी से ज्यादा हैं।
ऐसे में ओबीसी – पिछड़े वर्ग की कुल आबादी 8.26 करोड़ यानि 63 फीसदी
से अधिक है।
बिहार में बिना आरक्षण वाली सवर्ण जातियों की आबादी 2.03 करोड़ यानि
15.52 फीसदी बतायी गई है।
संसदीय लोकतंत्र के लिए जातिगणना आधारित हिस्सेदारी के नए आयाम
तय हो रहे हैं।
इंडिया गठबंधन के मुख्यमंत्री नितिश कुमार का कहना है – जल्दी ही सभी दलों से
जाति अनुपात में विधानसभा सीट आरक्षित करने की चर्चा की जायेगी।
बिहार में यादवों की आबादी 14.26 फीसदी बतायी जा रही है।
लगता है – 2024 के लोकसभा चुनाव में पिछड़ों और अति – पिछड़ों को लेकर
राजनीति की बयार स्थापित मानदंडों को धरासायी कर सकती है।
पदचिह्न टाइम्स।