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मिशन उत्तराखंड चुनाव से पहले अब दो विधायकों ने भाजपा का दामन छोड़ा !

तो क्या मोदी - शाह से नेताओं का मोहभंग शुरू ।

मिशन उत्तराखंड चुनाव से पहले अब दो विधायकों ने भाजपा का दामन छोड़ा !

तो क्या मोदी – शाह से नेताओं का मोहभंग शुरू ।
आज उत्तराखंड भाजपा के विधायक कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, और संजीव आर्य ने पाला बदल कर फिर से कांग्रेस में शरण ले ली है।
भाजपा को जोर से झटका धीरे से लगा है और राज्यसभा सांसद बलूनी के हाउस फुल के बयान की हवा निकालकर कांग्रेस ने अपना हिसाब बराबर करना शुरू कर लिया है।

भाजपा से नेताओं के कांग्रेस खेमे में वापसी की चर्चा लंबे अर्से से चलती रही हैं और इन दिग्गज नेताओं की घर वापसी से स्पष्ट हो गया है कि भाजपा में अन्य दलों से आए सांसद और विधायक सहज महसूस नहीं करते हैं।

सबसे बड़ा कयास विधायक उमेश शर्मा काउ का लगाया जा रहा था और रायपुर विधानसभा के विधायक होने के बावजूद भाजपा कैडर से उनकी पटरी नहीं बैठ पा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उन के कैबिनेट मंत्री नवरात्र में उत्तराखंड दौरे पर रहे – उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा अपने बाड़े को और मजबूत रखेगी लेकिन अब भाजपा हाइकमान के लिए उत्तर भारत में असहजता का वातावरण बना रहा है।
लगता है – कांग्रेस के बाकि धुरंधर भी सत्ता का मोह छोड़कर भाजपा से छिटक सकते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा सितारगंज से विधायक हैं और विगत सात सालों से भाजपा में कोई बड़ा पद पाने में नाकाम रहे हैं।

विजय बहुगुणा गए तो उन के खासमखास सुबोध उनियाल, जो कभी संघ विचारधारा के धुर विरोधी रहे हैं – भी डांवाडोल हो सकते हैं।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कद्दावर नेता हरक सिंह रावत गाहे – बगाहे सरकार को असहज करते रहते हैं और सबसे पहले उन का भाजपा से मोहभंग की उम्मीद लगायी जा रही थी – क्या चुनाव से पहले वो फिर पाला बदलेंगे, कयास लगाये जा रहे हैं।

2014 में भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया और कांग्रेसी विधायकों और सांसदो को अपने पाले में खींचकर कई राज्यों में सरकार बनायी। अब विधायक भाजपा छोड़कर कांग्रेस के पाले में जा रहे हैं – जहां नेतृत्व श्रीमती सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के पास यथावत है।

पश्चिम बंगाल में भाजपा के दो बार सांसद और पूर्व मंत्री बाबुल सुप्रीयो ने जब ममता बनर्जी के उपचुनाव से ठीक पहले टीएमसी ज्वाइन की तो लगा सुपर सिंगर और नेता बाबुल सीधे अमित शाह को चुनौती दे रहे हैं।

भाजपा से सांसदों और विधायकों का मोहभंग होना एक कयास है कि दलबदलू नेता कहीं मौसम विज्ञानी बनकर सत्ता के नए समीकरण तो नहीं बना रहे हैं। भाजपा छोड़ने वाले विधायक नेता अपनी विधानसभा और बाहर खासा वोट बैंक रखते हैं और भाजपा के लिए कई सीट पर खासी परेशानी खड़ी करने वाले हैं।

दलबदल का यह दौर अब चुनाव तक जारी रहने की उम्मीद है और कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कांग्रेस का मनोबल उठा दिया है।
पदचिह्न टाइम्स।

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