मणिपुर चुनाव में बीजेपी की आशा – उधर नागालैंड में सशस्त्र सेना विशेष अधिकार एक्ट का रीव्यू !
नार्थ ईस्ट मणिपुर राज्य में बीजेपी पूर्व कांग्रेसियों के बिना अपने दम पर सत्ता में लौट पायेगी।
मणिपुर चुनाव में बीजेपी की आशा – उधर नागालैंड में सशस्त्र सेना विशेष अधिकार एक्ट का रीव्यू !
नार्थ ईस्ट मणिपुर राज्य में बीजेपी पूर्व कांग्रेसियों के बिना अपने दम पर सत्ता में लौट पायेगी।
आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में नार्थ ईस्ट राज्य मणिपुर अपने 60 विधायकों का चयन करने जा रहा है।
आरएसएस संगठन ने उत्तर पूर्वी राज्यों में बीजेपी सरकार देकर आजादी के 75 वें अमृत महोत्सव में रिकार्ड बनाया है। इन सात राज्यों में आजादी पूर्व क्रिस्चियन मिशनरी, चीन, बर्मा और बंगलादेश का हस्तक्षेप रहा है।
कई राज्यों में ईसाई बाहुल्य जनसंख्या, आदिवासी खानपान और रहन – सहन बीजेपी को मुख्यधारा से बाहर रखता आया है।
असम के मुख्यमंत्री हेमंत विस्वा शर्मा बीजेपी के मुख्य सूत्रधार कभी दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे हैं।
मणिपुर चुनाव में बीजेपी मुख्यमंत्री बीरेन सिंह भी पूर्व कांग्रेसी हैं और दिल्ली में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद बीजेपी के मोहपाश में आये हैं।
दल – बदल की लगातार हलचल पांच साल में देखी गई हैं। कांग्रेसियों की एंट्री अब ममता बनर्जी की टीएमसी की ओर है।
अब बीजेपी मणिपुर में 2017 के 21 विधायक सीटों को स्पष्ट बहुमत तक लाना चाहती हैं और उस के पास टी विश्वजीत सिंह सरीखे नेता हैं।
फिलहाल 4 दिसंबर को सेना की मुठभेड़ में 13 नागरिकों की मौत का मामला मून, नागालैंड और अन्य प्रदेशों में हलचल मचाये है।
असम के मुख्यमंत्री हेमंत शर्मा व नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 को नागालैंड से हटाने के लिए एक हाई पावर कमेटी का गठन कराया है और यह 45 दिन में अपनी रिपोर्ट दे देगी।
इस कमेटी में नागालैंड के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी, आई जी असम राइफल व सीआरपीएफ के प्रतिनिधि शामिल हैं।
नागालैंड पुलिस ने सेना के खिलाफ हत्या का मामला भी दर्ज किया है।
सेना ने इंटैलीजेंस चूक पर हुई इस दुर्घटना के लिए आर्मी यूनिट व जवानों के खिलाफ कोर्ट आफ इंक्वारी बैठाने और दोषियों को दंडित करने की कार्यवाही शुरू की है। दोषियों का निलंबन और कड़ी कार्रवाई कर के सरकार संविधान और लोकतंत्र की मजबूती के लिए कदम उठायेगी।
सेना की चूक पर आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 की सुरक्षा मिलने वाली नहीं है।
मृत आश्रितों को सरकारी नौकरी व राहत देने के लिए सरकार सक्रिय है और इस दुर्घटना का लाभ आतंकवादियों को ना हो इस के लिए सभी स्तर पर कार्यवाही जा रही है।
फिलहाल उत्तर पूर्व में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 असम, नागालैंड, मणिपुर, अरूणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जनपदों में प्रभावी है। होम मिनिस्ट्री ने नागालैंड में यह कानून विगत 30 जून को आतंकी खतरे और उपद्रव को देखते हुए बढ़ाया था।
जम्मू – कश्मीर में आर्म्ड फोर्स जम्मू – कश्मीर स्पेशल पावर एक्ट 1990 प्रभावी है।
— भूपत सिंह बिष्ट