सुप्रीम कोर्ट में 12 सितंबर को नागरिकता संशोधन कानून – वैधता की सुनवायी !
कोरोना काल से पैंडिंग 220 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवायी दिसंबर 2019 से लंबित।
आगामी सोमवार 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट बहुचर्चित सीएए – नागरिकता संशोधन कानून 2019 की वैधता पर बहस सुनने को तैयार है।
मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की बैंच में 220 पैंडिंग याचिकाओं पर सुनवायी होनी है।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार के इस नागरिकता संशोधन कानून को अन्यायपूर्ण बताया है।
देश में अवैध रूप से घुसे शरणार्थियों को धर्म के नाम पर नागरिकता देना गलत है।
सीएए के कुछ प्रावधानों में मुस्लमानों को छोड़कर हिंदू , सिख, बौद्ध, इसाई, पारसी और जैन धर्म मानने वाले यदि 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से आये शरणार्थियों को सरकार चाहे तो नागरिकता प्रदान कर सकती है।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने याचिका डाली हुई है।
कुछ का कहना है – यह कानून समानता की जगह असमानता पैदा करने वाला है। धर्म के आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता देना संविधान सम्मत नहीं है।
सीएए के खिलाफ कोरोना महामारी के दौरान कई जगह आंदोलन हुए हैं।
इस कानून के विरोध में याचिका डालने वालों में जमियत उलमा हिंद, आल असम स्टूडैंट युनियन, पीस पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, एडवोकेट एमएल शर्मा और कई कानून के विद्यार्थी शामिल हैं।
पदचिह्न टाइम्स।