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अंग्रेजों ने दी है – मुननार चायबागान और हनीमून हिलस्टेशन की सौगात!

मुननार में सड़क, रोप वे, बस्तियां, हास्पीटल, स्कूल और बाजार आजादी से पहले हासिल हो गए।

अंग्रेजों ने दी है – मुननार चायबागान और हनीमून हिलस्टेशन की सौगात!

मुननार में सड़क, रोप वे, बस्तियां, हास्पीटल, स्कूल और बाजार आजादी से पहले हासिल हो गए।

कोटायम से मुननार आने के लिए पाला स्टेट हाई वे से अर्नाकुलम की ओर आना पड़ता है। धीरे – धीरे पहाड़ की ओर बढ़ते आलीमाड़ी के इस मार्ग पर गन्ने का रस बेचती ढेली मिल जाती हैं –  तीस रुपये में नींबू डला देशी गन्ने का रस बड़ा संतोष देता है।

आलीमाड़ी और अनानचल के बाजार पार करते मुननार से दूरी पांच किमी रह जाती है।  यहां सस्ते होटल तलाशना शुरू कर सकते हैं। कई बार एक हजार मात्र में रात काटने के लिए बढ़िया होम स्टे मिल जाते हैं।

इस बार कई होटल उद्यमियों को कोरोना वायरस के चलते आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ा है क्योंकि पर्यटकों की आमद घटी है।
अधिकतर होटलियर क्रिश्चियन हैं, यहां खाना बहुत लज़ीज और सस्ता है।

सुबह चिड़ियों की चहचहाट से नींद खुलती है। आशियाने के बगीचे सब का मनमोह लेते हैं। हर जगह के पाईन ट्री को छोड़कर वृक्षों की विविधता भरी है।

फूलोंको सलीके से उगाना माहौल को रंगीन व खुशगवार बनाता है।  मुननार नगर में घुसते ही ऊँटी की याद ताज़ा हो जाती है।

टाटा खेल के मैदान में अधिकतर शाम को फुटबाल मैच आयोजन देखने के लिए बच्चों, महिला व पुरुषों का जमावड़ा और उत्साह खेल प्रेमी नागरिकों की विशिष्ट अभिरुचियों का आभास कराता है।

मुननार की सभी पहाड़ियों में तरतीब से चाय बागान उगाये गए हैं। अंग्रेजों ने मुननार को चाय की बेशकीमती सौगात दी और यहां विकास के द्वार खोल दिये हैं।

मुननार में सड़क,रोप वे,बस्तियां, हास्पीटल, स्कूल,बाजार और जीवन की हर आवश्यकता को आजादी से पहले हासिल कर लिया गया था।

अंग्रेजों के बाद टाटा ने यहां चाय का बिजनेस संभाला और अब स्थानीय लोगों को साठ प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी सौंप दी है।
चायबागान और बाजार में तमिल बाहुल्य महसूस होता है।

यहां की प्रमुख चाय फैक्ट्री रुपये 125- का टिकट लगाकर म्यूजिम में प्रवेश देती है — जहां एक वीडियो भी दिखाया जाता है। जिस में मुननार की विकास कथा सजीव होती है।

इस फैक्ट्री के प्रचारक चाय को संजीवनी बताते हैं। चीन और जापान के लोगों की तरह दो ग्राम ग्रीन चाय रोज़ाना सेवनकर, अस्सी साल जीवन को पाने की गारंटी पाने का प्रचार भी करते हैं और ग्रीन चाय से डाक्टर को दूर भगाने का नुस्खा देते हैं।

मुननार से 25 किमी ऊपर टाप स्टेशन भी लोकप्रिय स्थल है और यहां से तमिलनाडु की सीमा शुरु होती है।

वृक्षों में यूकेलिपटस की तादाद जंगल का रुप ले चुकी है। मुननार के सभी बैराज में पानी का उपयोग पर्यटक बोटिंग के लिए करते है सो विद्युत उत्पादन के इतर राजस्व के लिए भी जल का उपयोग हो रहा है।

चाय के अंतर- राष्ट्रीय निर्यात के लिए दशकों पहले मुननार और कोचीन बंदरगाह के बीच यातायात सुचारू बना लिया गया था।

भारत के नव विवाहित जोड़े भी अब नये हनीमून स्थल की खोज में मुननार तक पहुँच रहे हैं। मुननार का दर्शनीय रोज गार्डन, फूलों की रंग – बिरंगी दुनिया पर्यटकों में उमंग और उल्लास जगाती है।
— भूपत सिंह बिष्ट

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