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चारधाम यात्रा खुली – श्री बदरीनाथ धाम के रोचक तथ्य !

"बदरि" के नाथ यानि लक्ष्मी पति- श्री बदरीनाथ !

चारधाम यात्रा खुली – श्री बदरीनाथ धाम के रोचक तथ्य !
“बदरि” के नाथ यानि लक्ष्मी पति- श्री बदरीनाथ !
— भूपत सिंह बिष्ट
आखिर कोरोना प्रकोप के बीच बदरीनाथ में 1200, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 कुल तीन हजार यात्रियों को दर्शन की अनुमति रहेगी।

यात्रियों को दोनो कोविड टीके और निगेटिव आरटीपीसीआर प्रमाणपत्र लाना है।

श्री बदरीनाथ धाम के रोचक तथ्य
संस्कृत भाषा में बदरि का अर्थ बेर का फल या पेड़ है – जिस पर फल है, छाँव के लिए सघन पत्तियां और सुरक्षा के लिए काँटों का आवरण — यह रूप माँ लक्ष्मी ने विष्णु भगवान की घोर तपस्या में अपना सहयोग करने के लिए अर्धांगिनी धर्म निभाते हुए धारण किया और सब को निर्वाण प्रदान करने वाले विष्णु भगवान तब से इस धाम में “बदरीनाथ” कहलाये।

मंदिर में मूर्ति स्थापना से पहले अलकनंदा नदी के दोनों तटों पर स्थित “नर” और “नारायण” पूज्य हिमालय शिखर हैं, ऐसा विश्वास है कि विष्णु भगवान छह माह कठोर तप करते हुए नर रूप में और शेष छह माह नारायण रूप में बैकुंठ वास करते हैं।

बदरीनाथ धाम में गर्म पानी के कुँड से निरंतर गरम जल की धारा बह रही है — यहाँ महिलाओं के लिए अलग स्नानघर निर्मित है। पास में ही विशाल शिलायें भगवान के अन्य अवतार और ऋषियों के तप के नाम से जानी जाती हैं।

बदरीनाथ मंदिर से तीन किमी दूर सीमांत गाँव माणा है। यहाँ घंटाकर्ण का प्राचीन मंदिर, सरस्वती नदी को पार करने के लिए भीम शिला है।
माणा गाँव के निवासी बदरीनाथ जी के परम्परागत विशेष सेवक हैं। दूध, सब्जी – फल व अनाज बदरीनाथ नगरी में सप्लाई करते हैं और ऋषिकेश होकर इस धाम में पहुँचने वाले पर्यटक गरम ऊनी वस्त्र, जलपान और भ्रमण के लिए इस अंतिम गांव माणा पहुँचते हैं।

साहसी पर्यटक यहां से चार किमी दूर वसुधारा प्रपात के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
—भूपत सिंह बिष्ट

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