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गिरफ्तारियां तथा बेल में विलंब ने हमारे अपराधिक न्याय सिस्टम पर प्रश्न उठा दिए – चीफ जस्टिस एन वी रमण !

सरकार मानव अधिकार रक्षा के लिए आगे आये, आज जेल में कैद 80 प्रतिशत मुलजिम अंडर ट्राइल हैं।

अंधाधुंध गिरफ्तारियां तथा बेल में विलंब ने हमारे अपराधिक न्याय सिस्टम पर प्रश्न उठा दिए हैं – चीफ जस्टिस एन वी रमण !

सरकार मानव अधिकार रक्षा के लिए आगे आये, आज जेल में कैद 80 प्रतिशत मुलजिम अंडर ट्राइल हैं।

 

भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण ने जेलों में कैद बिना मुकदमें सुने अभियुक्तों को बेल मिलने में हो रही देरी के लिए, न्याय प्रक्रिया में अविलंब सुधार लाने की बात कही है।

चीफ जस्टिस एनवी रमण और कानून व न्याय मंत्री किरण रिजूजी जयपुर, राजस्थान में 18 वीं आल इंडिया लीगल अथार्टिज की बैठक को संबोधित कर रहे थे।

चीफ जस्टिस ने बताया देश की जेलों में कैद 6.10 लाख में 80 प्रतिशत मुलजिम अपने मुकदमें की सुनवायी की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

बेल प्रक्रिया में अड़चनों के कारण नागरिकों के मानव अधिकारों का हनन हो रहा है।  सरकार को अंडर ट्रायल कैदियों के लिए ठोस कानून बनाने और सुधार लाने की आवश्यकता है।

ताबड़तौर गिरफ्तारियों के कारण अंडर ट्रायल को बेल मिलने में विलंब हो रहा है और अभियुक्तों को लंबे समय जेल में बीताना पड़ रहा है।

सरकार को अब सिस्टम में आमूल चूल सुधार लाने की जरूरत है।  हमारा अपराधिक न्याय सिस्टम मौजूदा वक्त के अनुरूप नहीं है। अभियोजन की प्रक्रिया ही दंड बनती हुई दिख रही है।

अंडर ट्रायल का बिना निर्णय जेल में बंद रहना हमारे न्याय सिस्टम की कमजोरी है।

केंद्रीय मंत्री रिजूजी ने कोर्ट में पैंडिंग मुकदमों को तेजी से निपटाने का सुझाव दिया।

 जवाब में चीफ जस्टिस रमण ने कोर्ट में न्यायाधीश रिक्तियों को अविलंब भरने और न्यायिक इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने के प्रयास में तेजी लाने को आवश्यक बताया है।

राजस्थान विधानसभा में संसदीय लोकतंत्र के 75 वर्ष पर बोलते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों की मुख्य भूमिका है।

सरकार और विपक्ष के बीच कटुता की जगह समावेश होना जरूरी है।

CHIEF JUSTICE CV RAMAN

तभी संसद में पक्ष – विपक्ष पूरी सजगता व समग्रता से कानून पास कराने में अपनी भूमिका के साथ न्याय करेंगे।  ऐसी पूर्व परिपाटी को फिर से अपनाना बहुत जरूरी है।

आज विपक्ष की भूमिका गौण है।  कानूनों में विपक्ष के सुझाव, चर्चा और बहस को स्थान न मिलने से गुणवत्ता में कमी आयी है।

लोकतंत्र की मजबूती के लिए पक्ष और विपक्ष दोनों के विचारों को राजनीति व समाज में जगह मिलनी जरूरी है।

आज लोकतंत्र के सभी हिस्सेदारों में समावेश न होने से लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास बाधित हो रहा है।
पदचिह्न टाइम्स।

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