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अब परेड मैदान में उत्तराखंड जनजातीय महोत्सव की धूम मची !

मुख्यमंत्री धामी ने तीन दिवसीय जनजाति कला, संस्कृति और हस्तशिल्प का श्रीगणेश किया।

अब परेड मैदान में उत्तराखंड जनजातीय महोत्सव की धूम मची !
मुख्यमंत्री धामी ने तीन दिवसीय जनजाति कला, संस्कृति और हस्तशिल्प का श्रीगणेश किया।

भारतीय सनातन संस्कृति के ध्वज वाहक जनजातीय समाज के तीन दिवसीय रंगारंग महोत्सव

का उदघाटन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया।
जनजातीय समाज का संरक्षण और संवर्धन भारतीयता के लिए अनिवार्य है।

PHOTO BHAGAT SINGH RAWAT

मुख्यमंत्री धामी ने कहा – उन की सरकार केंद्र के सहयोग से जनजाति समाज की कला,

संस्कृति और हस्तशिल्प को बढ़ाने के लिए कृत संकल्पित है।

जनजाति समाज भारतीय संस्कृति के मूल में है। 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की स्मृति में

जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने का अध्याय शुरू हुआ है।

PHOTO BHAGAT SINGH RAWAT

जनजातीय महोत्सव में भागीदार कलाकारों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों के बीच अपने

लोकनृत्यों से दर्शकों को अभिभूत कर दिया।

बिना विदेशी संगीत के हो – हल्ले में जन जाति समाज के लोकगीत और नृत्य,

युवाओं में अपनी गहरी छाप छोड़ रहे हैं।


लोक मनोरंजन में भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों की उपयोगिता ढोल, मंजीरा, शहनाई, तुरूही

आदि की थाप और सरगम पश्चिमी संगीत से यहां इक्कीस साबित हो रही है।

उत्तराखंड के रं शौका जनजाति कलाकार, चंपावत और जौनसार – रंवाई क्षेत्र के

लोकनृतकों के साथ विभिन्न राज्यों से आये लोक कलाकारों का जोश इस सांस्कृतिक

 महोत्सव का विशिष्ट हिस्सा हैं।

हस्तशिल्प के स्टाल, खानपान, फोटो प्रदर्शनी, सांस्कृतिक आयोजन का आधुनिक मंच ,

बच्चों के लिए खेल – खिलौने और परेड ग्रांउड के विस्तृत परिसर में आयोजित जनजातीय महोत्सव

भारत के विशिष्ट  गणतंत्र का परिचायक है।
– भूपत सिंह बिष्ट, स्वतंत्र पत्रकार।

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