विधानसभा में तमाम बैकडोर भर्तियों की जांच होगी – मुख्यमंत्री पुष्कर धामी !
उत्तराखंड बेरोजगारों का आक्रोश सरकारी नौकरियों पर पैसा और पहुंच हावी - पेपर छापने वाली फर्म ही घपले बाज। !
विधानसभा में तमाम बैकडोर भर्तियों की जांच होगी – मुख्यमंत्री पुष्कर धामी !
उत्तराखंड बेरोजगारों का आक्रोश सरकारी नौकरियों पर पैसा और पहुंच हावी – पेपर छापने वाली फर्म ही घपले बाज। !
देवभूमि उत्तराखंड के प्रति अपनी निष्ठा और नैतिकता का परिचय देते हुए मुख्यमंत्री धामी ने अब तक विधानसभा में हुई तमाम बैकडोर भर्तियों की जांच का आदेश दिया है।
युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नौकरी माफिया के खिलाफ कड़ी मुहिम रंग लाती दिख रही है।
करोड़ो की संपत्ति समेट चुके हाकम अब एसटीएफ की कैद में है तो साजिश में शामिल प्रतियोगी परीक्षा के पेपर छापने वाली फर्म का अरबपति मालिक और कारिंदे भी हवालात पहुंचे हैं।
हाकम के साथ फोटो खिंचाने वाले नेता और अधिकारी भी अब हलकान हैं।
यूकेएसएससी की परीक्षाओं से जुड़े पंत नगर यूनिवर्सिटी के पूर्व कर्मी, परीक्षा केंद्र के अध्यापक, पकड़े गए 23 कर्मियों में शामिल हैं।
एसटीएफ की जांच ने पूर्व परीक्षाओं में हुई नकल और बेइमानी के राज पाश किए हैं।
इसी कारण स्वाधीनता के अमृत महोत्सव 15 अगस्त को मुख्यमंत्री धामी ने एसटीएफ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह और टीम को मुख्यमंत्री सेवा मैडल से सम्मानित किया है।
बेरोजगारों से नौकरी के नाम पर लाखों ऐंठने का सफेदपोश धंधा चल निकला है।
युवा मुख्यमंत्री नौकरी माफिया की संपत्ति कुर्क करने और रासुका लगाने के आदेश देकर प्रशासनिक अधिकारियों को सचेत कर चुके हैं।
अब उत्तराखंड की गरिमा से अधिकारी बिलकुल खिलवाड़ न करें।
बेहद दुर्भाग्य पूर्ण है – उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग – यूकेएसएसएससी अपनी परीक्षाओं के कुशल संचालन में असफल साबित हुआ है।
चयन आयोग के सर्वेसर्वा अब तक बे – आबरू होकर इस्तीफा देकर निकले हैं। ये भी सच है कि कुछ रिटायर अधिकारी घपलों के बावजूद सरकार में सलाहकार पद तक भी पहुंच गए थे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी भी अब उत्तराखंड सरकारी चयन आयोग की विफलता पर तंज कस रहे हैं।
उत्तराखंड में नौकरी माफिया की सांठगांठ ने जीरो टालरेंस को जुमला बना दिया है।
चयन आयोग को पिछली सरकारों ने परीक्षा नियंत्रक उपलब्ध नहीं कराया और लापरवाह अधिकारियों ने सरकारी सेवाओं की भर्ती को प्राइवेट फर्म के भरोसे छोड़ दिया।
मुख्यमंत्री धामी की मुहिम परिश्रमी युवाओं के लिए आगे मील का पत्थर साबित होने वाली है – अब सरकार अपनी कमजोर कड़ियों के पैंच कस रही है।
ताकि देवभूमि में आगे बेइमानी और षडयंत्र से सेवा चयन रोका जा सके।
चयन आयोग में घपले – घोटालों की तीव्र जांच ने अब अन्य विभागों में बैक डोर भर्ती का पिटारा भी खोल दिया है।
विधानसभा में अब तक हुई – अनगिनित नियुक्तियों में भाई – भतीजावाद भी चर्चित हो रहा है।
स्थापना से अब तक हर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने करीबी और पहुंचवालों को नौकरी की रेवड़ियां बांटी हैं। लाभ लेने वाले नेताओं के सगे ही नहीं, हर वर्ग के शामिल हैं।
वित्त मंत्री प्रेम अग्रवाल ने स्वीकार किया है कि पिछली विधानसभा में नियमानुसार टेंपररी भर्ती आवश्यकता अनुसार की गई हैं।
उत्तराखंड राज्य को और अधिक आर्थिक नुक्सान से बचाने के लिए वित्तमंत्री को 70 सदस्य वाली पांचवी विधानसभा हेतु कार्मिकों की संख्यां और वेतन को तय करना परम आवश्यक हो गया है।
टेंपररी कर्मियों को हटाकर स्थायी चयन प्रक्रिया से विधानसभा सचिवालय के लिए नियुक्तियां वैधानिक जरूरत है।
रैंजर परीक्षा में आनलाइन घपले की आशंका जतायी जा रही है – अभ्यर्थियों ने अपने सिस्टम को हैक कराकर बाहर से जवाब सम्मिट कराये।
सतर्कता और चयन आयोग की लापरवाही से सरकार की किरकिरी हो रही है। समय रहते सफल अभ्यर्थियों की सघन जांच से घपले – घोटाले को पकड़ा जा सकता है।
परीक्षाओं को बार – बार रद्द करने से बेहतर सिस्टम को ध्वस्त कर रहे – परीक्षार्थी, अधिकारी, कर्मचारी, दलालों पर कठोर कार्रवाई हो ताकि व्यापम जैसे घपले देवभूमि में न हो।
छोटे राज्य में रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक पदों पर डेपुटेशन की जगह स्थायी नियुक्तियां ही कलंक कथा रोक सकती हैं।
पदचिह्न टाइम्स।
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