चलो खत्म हो गई उत्तराखंड में शाम सिंह पटवारी की दास्तांन !
ब्रिटीश राज लोक प्रशासन की पंचायत पटवारी पुलिस प्रथा को मुख्यमंत्री धामी ने दिया विराम ।
बात वर्ष 1977 की है – इंटर सांइस की परीक्षा देने के बाद तब डाक्टर बनने का सपना सीपीएमटी परीक्षा से पूरा होता था।
उत्तर प्रदेश की लगभग एक हजार मेडिकल सीटों में गढ़वाल और कुमांऊ मंडल में
विद्यार्थियों के लिए 2 प्रतिशत सीटें हिल कोटा में आरक्षित थी।
इस कोटे के लिए डोमिसाइल सर्टिफिकेट बनाने के लिए पहली बार तब पटवारी महोदय से मुलाकात हुई।
डबरालस्यूं पट्टी की पटवारी चौकी चैलूसेण में अंग्रेजों ने बनायी थी और तहसील यथावत लैंसडाउन में थी।
गांव से पैदल चार किमी चैलूसेण पटवारी चौकी की चढ़ाई ट्रेकिंग का पहला सबक था।
पटवारी साब दौरे में थे और चौकी में उन की माँ जी मिली। मिनटों में मां ने स्नेह से रिश्ता जोड़कर चाय पिलायी।
बड़ी आवभगत से बैठाया और पटवारी महोदय के आते ही तुरंत मेरे आवेदन पर गोल मोहर और दस्तखत भी हो गए।
तब लगा नहीं – पटवारी पुलिस किसी का शोषण कर सकती है।
मुझे डोमिसाइल (मूल निवास प्रमाणपत्र) में पौड़ी के डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट शानदार अधिकारी
टी जार्ज जोसेफ आईएएस के हस्ताक्षर भी उसी सहजता से बीस मिनट में पौड़ी क्लेक्ट्रैट में मिल गए थे।
वो यूपी का ज़माना था और आज मूल निवास प्रमाणपत्र अपने पहाड़ी राज्य में पहाड़ी मूल के
छात्रों को बनाना नाकों चने चबाने जैसा सबक है।
अब पटवारी साहब नाते – रिश्तेदारी के बावजूद हथेली गर्म करवाये बिना शायद ही
मोहर व सही बैठायें – पूरा सिस्टम लुंज – पुंज लगता है।
अंग्रेजों ने अपने ढाई सौ साल के राज में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पटवारी पुलिस की व्यवस्था बनायी थी।
तब पटवारी पुलिस ग्रामीण क्षेत्रों में अपराधों का प्रभावी शमन करती थी। इक्का – दुक्का अपराधिक मामले सुनायी पड़ते थे।
गंगा किनारे यमकेश्वर इलाके में पौड़ी गढ़वाल की बेटी अंकिता भंडारी की जघन्य हत्या ने पटवारी पुलिस की चूलें हिला दी।
कृषि ज़मीनों पर गैर कानूनी होटल व रिजोर्टस खड़े हो गए। तमाम गलत काम नाक के नीचे होते हैं लेकिन
पटवारी पुलिस खामोश दर्शक रहती है।
गढ़वाल सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भी कहना पड़ रहा है कि उत्तराखंड राज्य में
भ्रष्टाचार कमीशन जीरो से नहीं बल्कि यूपी की दर से कई गुना बढ़ चुका है।
उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती रितु खंडूडी भूषण ने अंकिता मर्डर केस पर पटवारी पुलिस को समाप्त करने के लिए
मुख्यमंत्री धामी को आधिकारिक पत्र लिखा है।
युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाईकोर्ट के निर्णय अनुरूप पटवारी पुलिस व्यवस्था को
चुस्त – दुरूस्त करने के आदेश किए हैं।
पहले चरण में प्रदेश के 1800 राजस्व गांवों में कानून व्यवस्था अब रेगुलर पुलिस संभालेगी।
सरकार ने राजस्व पुलिस की व्यवस्था को समाप्त कर इन गांवों को रेगुलर पुलिस के अधीन करने की
अधिसूचना जारी कर दी है।
इस चरण में 52 थाने और 19 पुलिस चौकियों का सीमा विस्तार किया जा रहा है।
पर्वतीय क्षेत्रों में लगभग 7500 गांवों में कानून व्यवस्था का जिम्मा अभी राजस्व पुलिस यानि पटवारी पुलिस चौकी से चलता है।
अब सरकार सदियों पुरानी इस जर्जर व्यवस्था को समाप्त करने जा रही है –
” कख नीति, कख माणा, शाम सिंह पटवारी न, कख – कख जाण “।
– भूपत सिंह बिष्ट