महाराष्ट्र सरकार दलबदल, विलय और अयोग्यता के सवाल अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा।
संविधान बैंच तय करेगी दलबदल से बनी सरकार कितनी कानूनी है।
भले ही राज्यपाल ने शिवसेना के विद्रोही एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री तथा बीजेपी के देवेंद्र फडणनवीस उप मुख्यमंत्री शपथ दिलाकर उद्धव ठाकरे को सत्ता से विदा करा दिया।
शिवसेना और सरकार की लड़ाई अब कानूनी दाव पैंच में उलझ गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने फिर विधानसभा अध्यक्ष को उद्धव ठाकरे का साथ दे रहे विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्रवाई पर रोक लगायी है।
विधान सभा सचिवालय के अधिकारियों को उद्धव ठाकरे की सरकार से लेकर आज तक की सभी कार्यवाही को सुरक्षित रखने के आदेश दिए हैं।
एकनाथ शिंदे गुट ने शिवसेना को तोड़कर अपना नया गुट घोषित करने की जगह उद्धव ठाकरे को नकली शिवसेना करार दिया है।
शिवसेना का विघटन मुंबई विधानसभा से लेकर लोकसभा दिल्ली तक पहुंच गया है।
दोनों सदनों में शिवसेना का एक गुट दूसरे को अयोग्य ठहराने में आमादा है।
सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन बैंच ने एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर अस्थायी रोक लगायी।
अगली तारीख से पहले एकनाथ शिंदे गुट ने सूरत, गोहाटी व गोवा के फाइव स्टार होटल में शिवसेना के विघटन को अमलीजामा पहना दिया।
उद्धव ठाकरे की सरकार में राजनीति के पुरोधा शरद पंवार ने महाराष्ट्र सरकार बचाने के लिए सड़क और सुप्रीम कोर्ट में ताना बाना बुन दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को एक ओर रखकर राज्यपाल ने विधानसभा आहुत की। एकनाथ शिंदे गुट ने बीजेपी समर्थित विधानसभा अध्यक्ष चुनकर शिवसेना के खिलाफ बगावत की।
फिर अपने सचेतक के जरिये उद्धव ठाकरे समर्थक विधायकों को अयोग्य ठहराने के नोटिस निकाल दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने बागी शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही न करने के विधानसभा उपाध्यक्ष के आदेश पर रोक लगायी थी।
अब बागी शिंदे और बीजेपी सरकार पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगायी है।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान बैंच निर्णय लेगी – दल बदल कराकर सरकार गिराने, अयोग्यता, पार्टी का विघटन और विलय के कानूनी प्रारूप क्या रहेंगे।
एकनाथ शिंदे के लिए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और उद्धव ठाकरे शिवसेना के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल तथा ए एम सिंघवी मैदान में हैं।
सुप्रीम कोर्ट को सरकार बनाने के लिए दलबदल के अधिकार की व्याख्या करनी है।
पदचिह्न टाइम्स।