शिक्षक दिवस पर : एक परिचय सहृदय विदुषी डा सुधा पांडेय !
शिक्षक दिवस पर : एक परिचय सहृदय विदुषी डा सुधा पांडेय !
सफल महिला शिक्षक, प्रशासक व साहित्यकार।
शिक्षाविद्, लेखिका डा सुधा रानी पांडेय एक शानदार व्यक्तित्व हैं। 22 अक्टूबर 1947 को कानपुर में जन्मी डा सुधा पांडेय ने उत्तराखंड संस्कृत विश्व विद्यालय की प्रथम महिला कुलपति का गौरव प्राप्त किया और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को प्रथम महिला सदस्य रही हैं। तीन बार एच एन बहुगुणा विश्व विद्यालय के कुलपति पद का प्रभारी दायित्व निर्वहन किया।
कानपुर स्थित एस एन सेन बालिका विद्यालय पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज और देहरादून के प्रतिष्ठित एम के पी (पी जी) कॉलेज के प्राचार्य पद पर रही हैं।
संस्कृत,हिंदी, पाली, प्राकृत सहित महिला शिक्षा के क्षेत्र में डा पांडे की महत्वपूर्ण समझ है । संस्कृत साहित्य पर कार्य करने हेतु यू जी सी की प्रतिष्ठित विषय अध्येता वृत्ति प्राप्त हुई थी। लगभग सौ से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। दो पुस्तकें प्रकाशित और लगभग चार प्रकाशनाधीन हैं ।
आथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के देहरादून चैप्टर से जुड़ी और अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हैं। नारी समाज को समर्पित डा सुधा पांडेय का काव्यांश —
हर फागुन में रुप संवारा,
धरती आंगन में भर उजियारा
फागुन बीता ग्रीषम बीता,
रीती बरखा की मधु धारा
मिलन विरह की युग असिधारा
बने अमावस श्वेत केश अब
प्रिय ने बिसराया सर्वस सारा
दग्ध कंठ से आह भरे अब
जीवन की सूखी रसधारा।”
प्रस्तुति – रजनीश त्रिवेदी