इलेक्टोरल बाँड का तिलस्म टूट पायेगा या अभी और पेंच बाकि !
सुप्रीम कोर्ट की अवमानना से स्टेट बैंक आफ इंडिया को बचने के लिए कल तक की मोहलत।
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बैंच ने दो टूक भारतीय स्टेट बैंक को आगाह कर दिया
कि जी – हजूरी के चक्कर में संवैधानिक सीमायें न लाघें।
हरीश साल्वे जैसे बड़े वकील भी स्टेट बैंक के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और
डायरेक्टरों को सुप्रीम कोर्ट के कोपभाजन से नहीं बचा सके।
अब कल आफिस समाप्त होने से पहले इलेक्टोरल बाँडस का चिट्ठा कोर्ट और
निर्वाचन आयोग के पास जमा कराने का आदेश हुआ है।
12 मार्च को मिलने वाली इलेक्टोरल बांड की जानकारी 15 मार्च तक अब
चुनाव आयोग की वैब साइट में आम जनता के लिए अपलोड होनी है।
आज की कोर बैंकिंग यानि मोबाइल और कंप्यूटर पर इंटरनेट के माध्यम से चल रहे
समस्त बैंकों से जानकारी जुटाने के लिए हील – हवाली अपराधिक लापरवाही
की हद तक आ गई।
सुप्रीम कोर्ट ने देश के सबसे बड़े स्टेट बैंक को 15 फरवरी 2024 को आदेश जारी किया था कि
उन के बैंक में चलायी जा रही इलेक्टोरल बांड योजना रद्द कर दी गई है।
इलेक्टोरल बांड खरीदने वाले और इस का लाभ पाने वाली पोलिटिकल पार्टियों की
जानकारी 6 मार्च तक उपलब्ध करा दे।
इन बांडस के माध्यम से चंदा बांटने वाले धन कुबेरों और कंपनियों की चुनावी संग्राम में
मिट्टी पलीद न हो – इस की तिकड़म निकालने के प्रयास होने लगे।
4 मार्च को अचानक भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समय सीमा के
खिलाफ एक अपील दायर कर दी कि ये जानकारी देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय चार माह
30 जून तक का और समय प्रदान करे।
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक की अपील को खारिज कर दिया और कल तक जानकारी जमा कराने
या सुप्रीम कोर्ट की अवमानना भुगतने की कड़ी चेतावनी दी है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रिटायरमैंट के बाद
सेवा विस्तार पर चल रहे हैं और इसीलिएआका को खुश कर सुप्रीम कोर्ट को नाराज कर बैठे हैं।
एक कयास लगाया जा रहा है – इलेक्टोरल बांड खरीदने वाले करोड़पतियों और
कंपनियों की जानकारी भले ही सार्वजनिक हो जाए।
मगर किस ने किस पार्टी में बांड दिया – ये जानकारी नहीं मिलने वाली है।
लगभग 22 हजार बांड किस पार्टी को कितने मिले अब यही जानकारी सामने आयेगी।
किस ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया – बस अंदाजा लगाना होगा।
अरबों रुपयों के इलेक्टोरल बांड का तिलस्म अब कहीं और परतें खोलने के लिए
स्विश बैंक का काला जादू न साबित हो।
– भूपत सिंह बिष्ट